नया संकल्प लेने का नया‍ दिन

- अखिलेश श्रीराम बिल्लौरे

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हिन्दू धर्म में माना जाता है कि प्रत्येक दिन त्योहार का दिन होता है। धर्म में गहरी आस्था रखने वाले प्रतिदिन सूरज की पहली किरण का स्वागत कर पूरे दिन को अपने लिए पर्वमय बना लेते हैं। फिर भी वर्ष में कुछ दिन ऐसे हैं जिनका वेद-पुराणों में विशेष महत्व है।

हिन्दुओं के लिए ऐसा ही एक दिन है चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा। इस दिन से हिन्दू नववर्ष प्रारंभ होता है। विक्रम संवत् की शुरुआत इसी दिन से ही मानी जाती है। हिन्दू इस पर्व को बहुत उल्लास से मनाते हैं। नया संकल्प लेते हैं। बुराइयों से संघर्ष और उन पर विजय पाने की शक्ति ईश्वर से माँगते हैं। हमें भी इस दिन संकल्प लेना चाहिए कि कभी कोई ऐसा कार्य नहीं करेंगे कि किसी को उससे दु:ख पहुँचे। कभी ऐसी वाणी नहीं बोलेंगे कि किसी को वह कड़वी लगे।

इसी दिन से चैत्र नवरात्र का प्रारंभ भी होता है। नया वर्ष माँ जगदम्बे की आराधना से शुरू हो, ऐसा अवसर कोई भी भक्त नहीं खोना चाहता। अत: गुड़ी पड़वा का महत्व दुगुना हो जाता है। इसलिए नववर्ष का स्वागत और माँ की आराधना बड़े उत्साह से की जाती है। माना जाता है कि इस दिन से साधु-संन्यासी सिद्धि प्राप्ति के लिए अपने तप की शुरुआत करते हैं। लोकहित का इच्छा से होने वाले इस तप में उन्हें माता प्रसन्न होकर सिद्धि प्रदान करती हैं।
  हिन्दू धर्म में माना जाता है कि प्रत्येक दिन त्योहार का दिन होता है। धर्म में गहरी आस्था रखने वाले प्रतिदिन सूरज की पहली किरण का स्वागत कर पूरे दिन को अपने लिए पर्वमय बना लेते हैं। फिर भी वर्ष में कुछ दिन ऐसे हैं जिनका वेद-पुराणों में विशेष महत्व है।      


वर्ष प्रतिपदा को पूरे विश्व में फैले हिन्दू अलग-अलग तरीके से मनाते हैं। प्राय: इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का बड़ा महत्व है। प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व नित्य क्रिया से निवृत्त होकर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। यथाशक्ति प्रसाद चढ़ाया जाता है। मंदिरों में जाकर देवदर्शन कर दीन-दुखियों को दान-पुण्य किया जाता है। इस दिन नीम की पत्ती खाने का भी बड़ा महत्व है। कहते हैं कि वर्ष के प्रथम दिन कड़वा खाने से कटु अनुभवों को हँसते-हँसते सहने की ऊर्जा मिलती है।

नया वर्ष प्रत्येक व्यक्ति के लिए नई ऊर्जा के आगमन का प्रतीक होता है। सूर्योदय के साथ नए साल का स्वागत करना चाहिए। भगवान सूर्य को स्नानादि से निवृत्त होकर दिया जाने वाला अर्घ्य वे सहर्ष स्वीकार करते हैं। भक्त को असीम ऊर्जा का वरदान देते हैं।

इसलिए कहा गया है कि रात्रि के अंधकार में नववर्ष का स्वागत करने से अच्छा है नया वर्ष सूरज की पहली किरण का स्वागत करके मनाया जाए फिर चाहे वो विक्रम संवत हो या ईस्वी सन। भारत वर्ष में सूर्य को भगवान मानकर उनकी आराधना की जाती है। भगवान सूर्य को प्रतिदिन जल चढ़ाने वाला जीवनभर ऊर्जा से भरपूर रहता है।

नववर्ष पर हिन्दू धर्म के अनुयायी वर्षभर के नियम तय कर लेते हैं। नया संस्थान, दुकान, मकान आदि का प्रारंभ इस दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। भक्तिभाव से व्यापारी ब्राह्मणों को बुलाकर अपने नवीन संस्थान का विधिविधान से पूजन कराते हैं और अच्छे व स्वच्छ व्यापार का वरदान पाते हैं। सुख-समृद्धि का आशीर्वाद लेकर ब्राह्मणों को यथाशक्ति दानादि देकर बिदा करते हैं।

महाराष्ट्र के लिए यह दिन अतिविशेष रहता है। महाराष्ट्रीयन समाजजन गुड़ी बनाकर अपने घरों पर टाँगते हैं। विधिविधान से पूजा करते हैं और प्रसाद का वितरण करते हैं। पूरे दिन धार्मिक अनुष्ठान यज्ञ-हवन आदि होते हैं। पूजनादि से निवृत्त होकर सभी अपने बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद माँगते हैं। कन्याओं को भी यथाशक्ति दान देकर उनके चरण स्पर्श करने से भी पुण्य की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि कन्या माँ का अत्यंत कोमल और ममतामयी रूप होता है। कन्या का पूजन करने से माँ अवश्य प्रसन्न होती हैं। इसलिए हमारे देश में प्रत्येक कन्या को देवी माना जाता है और यथा‍शक्ति उनकी पूजा की जाती है।

पूरनपोली का भो
गुड़ी पड़वा पर वैसे तो अनेक प्रकार के मिष्ठान्न का भोग लगाया जा सकता है, लेकिन पूरनपोली का भोग लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। चने की दाल से बनाया जाने वाला यह व्यंजन प्रत्येक हिन्दू परिवार में लोकप्रिय है।

महिलाएँ घरों में बड़ी श्रद्धा से इसे बनाती हैं और ‍भगवान को भोग लगाकर पूरे परिवार द्वारा इसे ग्रहण किया जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि नए वर्ष की शुरुआत चने की दाल से करना चाहिए। इसलिए इस व्यंजन का अतिमहत्व है।