मनमोहक त्योहार है गणगौर

चौपड़ खेले ईसर-गणगौर जोड़ी ये सबकी सिरमौर

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भारतीय परंपरा और संस्कृति के अनुसार शिव-पार्वती की जोड़ी दिव्य-ब्रह्मांडीय जोड़ी मानी जाती है। इस कॉस्मिक कपल का घर है कैलाश पर्वत। मानसरोवर का किनारा और कैलाश पर्वत की बर्फीली चोटियाँ ही पार्वती का घर-आँगन हैं।

जहाँ शिव-पार्वती कभी नाचते-गाते हैं, कभी दुनिया-जहान की बातें करते हैं, समाज की ऊँच-नीच की चर्चा करते हैं। कभी वे किस्सागोई करते हैं तो फुर्सत में चौपड़ भी खेलते हैं तो कभी शिवजी महाराज पार्वतीजी को लंबे-लंबे आख्यान सुनाते हैं।

अक्सर वे अपने नंदी बैल पर सवार होकर यात्राओं पर निकल जाते हैं। रास्ते में दुनिया के दुःख-सुख से पिघलकर पार्वती वरदान माँग बैठती हैं और स्नेही भोलानाथ पत्नी का दिल रखने के लिए वरदान दे भी बैठते हैं। और लीजिए जन्म होता है अनंत कथा-वार्ताओं का, व्रत-उपवासों का, तीज-त्योहारों और आख्यानों का जो शिव-पार्वती के सहज-सुखद भारतीय दांपत्य से जुड़े हैं।
  भारतीय परंपरा और संस्कृति के अनुसार शिव-पार्वती की जोड़ी दिव्य-ब्रह्मांडीय जोड़ी मानी जाती है। इस कॉस्मिक कपल का घर है कैलाश पर्वत। मानसरोवर का किनारा और कैलाश पर्वत की बर्फीली चोटियाँ ही पार्वती का घर-आँगन हैं।      


इन्हीं में से एक मनमोहक त्योहार है गणगौर, जिसकी रंगीली छटा हर मन को मोह लेती है।

(21 मार्च, 2007 की नईदुनिया से)