बहुत जरूरी भाईचारा!

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मैंने बाइबिल को सराहा, कुरान को इज्जत बख्शी
फिर मेरी रामायण पर हल्ला क्यों है?

तुमने यीशु की प्रार्थना की, राम की पूजा की है
फिर इतना बेगाना मेरा अल्ला क्यों है?

तुमने अपने धर्मग्रंथ में कहीं पढ़ा है मारो-काटो
मेरा मजहब भी कहता है इंसानों को मत बाँटो

घर जलने पर हिन्दू-मुस्लिम क्या अलग तरीके से रोते हैं?
बेटे के मरने पर क्या इनके आँसू अलग-अलग होते हैं?

जब दर्द हमारा एक है, और अहसास हमारा एक
फिर हमें बाँटता पंडित क्यों है, मुल्ला क्यों है?

क्या महमूद का कारखाना मोहन के बिन चल सकता है?
जमुना के खेतों में भी जुम्मन का पसीना बहता है

रजिया रधिया के संग सावन में झूला करती है
हरिया की गय्या हमीद की बकरी के संग चरती है

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जब बिना एकता नहीं गुजारा, बहुत जरूरी भाईचारा
फिर अर्जुन का दुश्मन अब्दुल्ला क्यों है?

तुमने हमको काफिर बोला, हम तुमको शैतान कह गए
नफरत की इस रक्त नदी में पैगंबर-भगवान बह गए

माँ के गर्भ से मैं जन्मा हूँ, तुम क्या कहीं और से आए?
अंत में सब मिलते मिट्टी में, तुम क्या अमृत पीकर आए?

आने की जब राह एक है, और जाने की भी एक
फिर अपना अलग-अलग ईश्वर-अल्लाह क्यों है?

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