भारतीय मुक्केबाजों का पेरिस ओलंपिक खेलों में निराशाजनक प्रदर्शन जारी रहा तथा अनुभवी अमित पंघाल और जैस्मीन लम्बोरिया के बाद प्रीति पवार भी प्री क्वार्टर फाइनल में हार कर बाहर हो गई।प्रीति ने महिलाओं के 54 किग्रा प्री क्वार्टर फाइनल मुकाबले में कोलंबिया की पैन अमेरिकन खेलों की चैंपियन और विश्व रजत पदक विजेता येनी मार्सेला एरियास को कड़ी चुनौती दी लेकिन इसके बावजूद उन्हें 2-3 के विभाजित फैसले से हार का सामना करना पड़ा।इस निर्णय के का भारतीय खेल प्रेमियों ने काफी आलोचना की और मुक्केबाजों को सलाह दी की जजों तक कोई निर्णय ना छोड़े।
Argentinian and another south American judge in there! Scored all 3 rounds for Columbian only!
The and one for #Preeti#Olympics boxing and judging remains the same!! #never leave it to the judges! in combat sports never!
— Gaurav G. Gullaiya (@Gaurav_Gullaiya) July 30, 2024
First round was clear Preeti's. Only thing Arias had in 1st round was shouting. Except for 3rd round Preeti was at top in 2 rounds. Intresting that despite 2 warning Argentina & Guatemala judge thought 2nd round was of Arias just based on shouting. Shouting=Aggressive (?).
अनुभवी पंघाल और पदार्पण करने वाली जैस्मीन का ओलंपिक अभियान खत्म
भारत के अनुभवी मुक्केबाज अमित पंघाल मंगलवार को यहां पेरिस ओलंपिक की मुक्केबाजी स्पर्धा में पुरुष 51 किग्रा वर्ग में और पदार्पण करने वाली महिला मुक्केबाज जैस्मीन लम्बोरिया 57 किग्रा वर्ग में हारकर बाहर हो गये।
पंघाल का पेरिस ओलंपिक अभियान राउंड 16 में अफ्रीकी खेलों के चैंपियन और तीसरे वरीय जाम्बिया के पैट्रिक चिन्येम्बा से 1-4 से हारकर समाप्त हुआ जबकि जैस्मीन फिलीपींस की तोक्यो ओलंपिक की रजत पदक विजेता और पूर्व विश्व चैंपियन नेस्टी पेटेसियो से 0-5 से हारकर बाहर हो गईं।
विश्व चैम्पियनशिप 2019 के रजत पदक विजेता पंघाल को पहले दौर में बाई मिली थी। वह तोक्यो ओलंपिक में भी इसी तरह बाहर हुए थे जिसमें भी उन्हें पहले दौर में बाई मिली थी। तोक्यो के प्रदर्शन के बाद वह राष्ट्रीय टीम से बाहर ही थे और दीपक भोरिया के दो क्वालीफायर में कोटा नहीं हासिल करने के बाद उन्हें अंतिम ओलंपिक क्वालीफाइंग के लिए चुना गया था।
जाम्बिया के पैट्रिक ने शुरू से ही आक्रामक रूख अख्तियार करते हुए दबदबा बनाया और पंघाल को वापसी का मौका नहीं दिया।दुनिया के पूर्व नंबर एक मुक्केबाज पंघाल को अपने रक्षात्मक खेल का खामियाजा भुगतना पड़ा। हालांकि उन्होंने अंतिम तीन मिनट में आक्रामकता दिखाई। लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ क्योंकि प्रतिद्वंद्वी मुक्केबाज उनसे बेहतर पंच लगाकर अंक जुटाने में सफल रहा।जाम्बिया के मुक्केबाज ने दो राउंड में तीन जज से 10-10 अंक हासिल किये जबकि पंघाल को सिर्फ दो जज ने 10 अंक दिये।अंतिम राउंड में जाम्बिया के मुक्केबाज को सभी पांचो जज ने 10-10 अंक दिये।
भिवानी की 22 साल की जैस्मीन को भारतीय मुक्केबाजों में सबसे मुश्किल ड्रॉ मिला। यह युवा मुक्केबाज ओलंपिक के अंतिम क्वालीफायर से तुरंत पहले 60 किग्रा वजन वर्ग से खिसककर 57 किग्रा वर्ग में आई थी।
लंबी कद काठी की यह युवा मुक्केबाज सटीक पंच नहीं लगा सकीं और अपने से कहीं अनुभवी नेस्टी पेटेसियो के आगे चित्त हो गईं।