इस स्थान का चीन से बहुत पुराना रिश्ता है। 18वीं सदी में यहां के पल्लव राजा और तत्कालीन चीनी शासक के बीच सुरक्षा समझौता हुआ था। सातवीं सदी में चीनी प्रतिनिधिमंडल भी यहां आया करता था।
यूं तो पल्लवों की राजधानी कांचीपुरम थी, लेकिन महाबलीपुरम को उनकी दूसरी राजधानी के नाम से जाना जाता था। सातवीं शताब्दी में चीनी यात्री ह्वेनसांग कांचीपुरम आया था।