रंगों के उत्सव 'होली' में फूलों से प्राकृतिक रंग बनाने की शिथिल पड़ गई परंपरा के प्रति एक बार फिर से लोगों का रुझान बढ़ता दिख रहा है।
होली के आगमन को लेकर पूरे देश में तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। प्रकृति ने इसकी तैयारी वसंत ऋतु के आगमन के साथ ही कर ली है।
सामाजिक कार्यकर्ता सुशांत पाठक बताते हैं कि विगत कई वर्षों से प्राकृतिक रंग बनाने की शिथिल पड़ गई परंपरा के प्रति एक बार फिर से लोगों का रुझान बढ़ता दिख रहा है और इसके औषधीय गुणों को लोग समझने लगे हैं।
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के दहशत के कारण होली पर लोग केमिकल युक्त रंग-गुलाल खेलने से परहेज के कारण पलाश के फूल की डिमांड बढ़ रही है।