नाड़ी शोधन प्राणायाम : नाड़ियों की शुद्धि और मजबूती से अन्य अंगों में शुद्धि और मजबूती का संचार होता है। नाड़ी शोधन और अनुलोम विलोम में कोई खास फर्क नहीं है। प्रदूषित वातावरण के चलते वर्तमान में प्राणायाम का अभ्यास हमारे प्राणों के लिए आवश्यक है। प्राणायम की शुरुआत आप नाड़ी शोधन प्राणायाम से कर सकते हैं। यह बहुत सरल है। आप इसका अभ्यास प्रभातकाल में करें। संध्यावंदन के समय भी आप इसका अभ्यास कर सकते हैं। गॉर्डन या घर के शुद्ध वातावरण में ही इसका अभ्यास करें।