अब सवाल यह उठता है कि बृहस्पति तो कुंभ वृषभ और सिंह राशियों के अलावा भी अन्य राशियों में भी संक्रमित और उपस्थित होते हैं और हर राशि में करीब-करीब 12 वर्ष बाद ही आते हैं। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि वे इन चारों स्थानों के अतिरिक्त और कौन से अन्य स्थान हैं, जहां बृहस्पति के अन्य राशियों में स्थिर होने पर मंगल पर्व (कुंभ पर्व) का सुयोग होता है। हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार 12 कुंभ पर्व कल्पित हैं जिसमें से 4 प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन व त्र्यम्बकेश्वर (नासिक) में होते हैं, शेष अज्ञात हैं? अर्थात धर्मग्रंथों के अनुसार देवलोक में होते हैं। किंतु यह आज के वैज्ञानिक युग में एक महान खोज का विषय है, क्योंकि कुंभ पर्व या सिंहस्थ हेतु बृहस्पति का योग ही महत्वपूर्ण माना जाता है और बृहस्पति तो कुंभ, मेष, वृषभ और सिंह राशियों के अतिरिक्त अन्य शेष राशियों में भी संक्रमित और उपस्थित होते हैं और करीब-करीब हर राशि में लगभग 12 वर्ष बाद ही आते हैं।