पंजाब में चुनाव का बुखार बढ़ने के साथ ही कांग्रेस के सबसे बड़े बागी मालविंदरसिंह की व्यस्तता भी बढ़ रही है क्योंकि वह अपने भतीजे और कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष अमरिंदरसिंह के पुत्र के खिलाफ चुनाव प्रचार में कोई कसर छोड़ने के मूड में नहीं हैं।
सामना विधानसभा सीट पर अमरिंदर के पुत्र रनिंदरसिंह को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है जिससे नाराज हो कर अमरिंदर के छोटे भाई मालविंदर ने बड़े भाई और पार्टी के खिलाफ बगावत कर दी तथा शिरोमणि अकाली दल में शामिल हो गए।
उन्होंने कहा कि मैं रविवार को राजपुरा से अपना प्रचार शुरू करूंगा। सामना सीट पर मैं शिरोमणि अकाली दल के लिए प्रचार भी करूंगा जहां से रनिन्दर चुनाव लड़ रहे हैं। मालविंदर 35 साल तक कांग्रेस में रहे और सात जनवरी को पार्टी छोड़ कर वह शिरोमणि अकाली दल में शामिल हो गए। उन्होंने कहा कि वह पूरे पंजाब में कांग्रेस के खिलाफ प्रचार करेंगे।
इतना ही नहीं, वह अगला लोकसभा चुनाव पटियाला से लड़ेंगे जहां से वर्तमान में उनके भाई अमरिंदर की पत्नी और केंद्रीय मंत्री परनीत कौर सांसद हैं। कांग्रेस से टिकट न मिलने से नाराज मालविंदर को शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने पटियाला लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाने की पेशकश की और मालविंदर ने हामी भर दी।
उन्होंने कहा कि सुखबीर और उनके पिता ने मुझे पटियाला से लोकसभा चुनाव का टिकट देने की पेशकश की और मैं तैयार हो गया। पटियाला लोकसभा सीट परंपरागत रूप से पटियाला के शाही घराने का गढ़ रही है। पूर्व में इसका प्रतिनिधित्व एक-एक बार अमरिंदर सिंह और उनकी मां मोहिन्दर कौर तथा तीन बार परनीत कौर कर चुकी हैं।
मालविंदर को कांग्रेस छोड़ कर शिरोमणि अकाली दल में जाने का कोई पछतावा नहीं है। वह कहते हैं कि फैसला दिल तोड़ने वाला था और गहरे आत्मावलोकन के बाद किया गया।
कांग्रेस के साथ सुलह सहमति की संभावना को नकारते हुए, पटियाला के पूर्ववर्ती शाही परिवार के इस युवा प्रतिनिधि ने कहा कि मैंने जल्दबाजी में नहीं बल्कि सोच विचार कर यह फैसला किया है। पीछे हटने का सवाल ही नहीं उठता। (भाषा)