'आप' की आयातित ताकत पंजाब, गोवा पहुंची

शुक्रवार, 27 जनवरी 2017 (16:46 IST)
नई दिल्ली। पंजाब और गोवा में आम आदमी पार्टी के प्रचार की जोर-शोर से तैयारी चल रही है। वैसे तो चुनाव देश के अन्य राज्यों में भी हैं, मगर पंजाब और गोवा के चुनाव इस बार इसलिए खास हैं, क्योंकि यहां पहली बार असेंबली चुनावों में आम आदमी पार्टी मौजूद है। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में आम आदमी पार्टी के 4 प्रत्याशी संसद में अपनी सीट पक्की करने में कामयाब हुए थे। तब से आम आदमी पार्टी का ग्राफ पंजाब में लगातार ऊपर गया। 
वर्ष 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में 67 सीटें आने के बाद आम आदमी पार्टी के हौसले और बुलंद हुए और तभी से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पंजाब पर टकटकी लगाए हुए थे। पंजाब में एक तरफ शिरोमणि अकाली दल के बादल परिवार की राजनीतिक जड़ें गहरी हैं वहीं दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी अपनी पहचान बना रही है। इसलिए सवाल यह है कि अरविंद केजरीवाल ने 2 राज्यों में ही चुनाव लड़ने का फैसला क्यों लिया? सर्वविदित है कि पंजाब के लोग विदेशों में बड़ी संख्या में बसे हैं और यह राज्य ड्रग्स और भ्रष्टाचार की विकराल समस्याओं से जूझ रहा है।
 
विदेशी में बसे लोग पंजाब को फिर से खुशहाल देखना चाहते हैं और यही प्रमुख कारण रहा है कि 2014 के चुनावों में एनआरआई का अहम योगदान रहा है। इस वर्ग ने कॉलिंग कैंपेन और छोटे-छोटे डोनेशन देकर 'आप' के 1-1 उम्मीदवार को सशक्त किया। फोन के जरिए अपने रिश्तेदारों, पड़ोसी और गांव वालों को समझाया। 'आप' को इस चुनाव में भी विदेशों में बसे पंजाबियों से उम्मीद थी।
 
'आप' का यह लगाव एकतरफा नहीं था और पिछले दिनों में सैकड़ों की संख्या में कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका में बसे आप समर्थकों ने अपने गृहनगर पहुंचकर आप के पक्ष में हवा बनानी शुरू कर दी है। आम आदमी पार्टी का गोवा का चुनावी समीकरण भी कुछ इसी तरह का है और उसने राज्य में भ्रष्टाचारमुक्त सरकार का वादा किया है। गोवा का क्षेत्रफल कम होने से कम समय में ज्यादा पहुंच संभव है। गोवा में जाति-धर्म की लड़ाई चुनावों को प्रभावित नहीं करती है लेकिन राज्य का विकास अपेक्षा के अनुरूप नहीं हुआ है और यहां बेरोजगारी, नशा बड़ी समस्या है। 
 
बेरोजगारी, नशा, शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी को समाप्त करने के मुद्दों को लेकर 'आप' यहां चुनाव में उतरी है। 'आप' का मानना है कि आम लोगों से जुड़े ये मुद्दे उसे चुनाव में फायदा पहुंचा सकते हैं। इसके साथ ही उसने मुख्यमंत्री पद के दावेदार की पहले घोषणा कर बाकी दलों से बढ़त बना ली है और एल्विस गोम्स को अपना प्रतिनिधि चेहरा बनाया है। गोम्स एक पूर्व आईएएस अधिकारी हैं जिनकी ईमानदारी पर पार्टी को पूरा भरोसा है। हालांकि पुलिस और जांच एजेंसियां एक आवास घोटाले में उनसे पूछताछ कर रही हैं लेकिन आप का दावा है कि आप को रोकने के लिए सत्तारूढ़ भाजपा उन्हें भ्रष्टाचार के किसी मामले में फंसाने की कोशिश कर रही है। 
 
पंजाब में आप की मौजूदगी से आगामी विधानसभा चुनाव बहुत ही रोमांचक होने की संभावना है। जहां कांग्रेस कैप्टन अमरिंदर सिंह के भरोसे मैदान में उतरी है वहीं शिरोमणि अकाली दल सत्तासीन होने के साथ-साथ साधनों से भरपूर पार्टी है। अब देखना यह है कि आम आदमी पार्टी को जिन लोगों पर भरोसा है, वे क्या पार्टी के लिए भरोसेमंद साबित हो सकेंगे? आम आदमी के पास जुनूनी कार्यकर्ताओं की ऐसी फौज है, जो बाकी दलों के पास नहीं है। दुनियाभर में फैले 'आप' के लाखों जुनूनी कार्यकर्ता पिछले 1 साल से पंजाब और गोवा चुनाव के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं। 
 
इनमें से हजारों कार्यकर्ता ऐसे भी हैं, जो अपना परिवार, नौकरी छोड़कर जमीनी मुहिम का हिस्सा बने हैं और ये आधुनिक टेक्नोलॉजी के जरिए राज्य के लाखों परिवारों को जोड़े हुए हैं। कैलिफोर्निया की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पीएचडी कर रहे रघु महाजन पिछले 5 माह से सबकुछ छोड़कर पंजाब में डेरा डाले हुए हैं और जमीनी स्तर का काम कर रहे हैं। विशाल कुडचडकर बर्कले यूनिवर्सिटी से एमबीए करने के बाद लॉस एंजिल्स की एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर हैं। उन्होंने पिछले साल अधिकतम समय गोवा में चुनावी ढांचा तैयार करने में मदद की और पूरे अमेरिका के गोवा निवासियों को इस मुहिम से जोड़ रखा है। 
 
सिएटल के वरुण गुप्ता माइक्रोसॉफ्ट में नौकरी करते हैं लेकिन फिलहाल पंजाब में कई महीनों से गांव-गांव में घूम रहे हैं। अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन ही नहीं, वरन सभी बड़े देशों के अनिवासी भारतीय इस मुहिम में शामिल हैं। ब्रिटेन के ग्लासगो शहर के इंदरपाल शेरगिल ने न केवल पंजाब और गोवा में जाकर काम किया, वरन उन्होंने अपना पंजाब का निवास, फॉर्म हाउस और गोवा का निवास आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए खोल दिया है।
 
इनके अलावा, अन्य देशों जैसे ऑस्ट्रेलिया, दुबई, जर्मनी, फिलीपींस और सऊदी अरब के वालेंटियर भी 'आप' से जुड़े हुए हैं। इन चुनावों में 'आप' की महिला कार्यकर्ता भी काफी समय पार्टी को दे रही हैं। पंजाब का दोआबा एनआरआई का गढ़ है और उनका 34 सीटों पर खासा प्रभाव है। वहां 25 फीसदी के करीब फंडिंग एनआरआई द्वारा की जा रही है। 
 
हाल ही में आम आदमी पार्टी के अभियान 'चलो पंजाब' के तहत दो फ्लाइट भरकर कनाडा और इंग्लैंड की टीमें पंजाब पहुंच गई हैं और आगामी कई हफ्तों तक यह सिलसिला चलते रहने की संभावना जाहिर की जा रही है। दुनियाभर में करीब 35 लाख पंजाबी एनआरआई हैं। आम चुनाव में इससे पहले फंडिंग और समर्थन जुटाने के लिए नेता भारत से कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन जाते रहे हैं लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है, जब विदेशों में बसे पंजाबी इतनी बड़ी तादाद में खुद पंजाब, गोवा पहुंचकर किसी पार्टी के लिए प्रचार कर रहे हैं।

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