चुनावों के टिकट वितरण में परिवार और भाई-भतीजावाद होने का आरोप कोई नया नहीं है। यह सिर्फ आरोप ही नहीं बल्कि सच्चाई भी है। एक ताजा नमूना राजस्थान के झुंझुनूं जिले में कांग्रेस के टिकट वितरण में भी देखने को मिला है। यहाँ इस बार घोषित कांग्रेस प्रत्याशियों में परिवारवाद का जमकर बोलबाला रहा है। झुंझुनूं जिले में कुल सात में से छः सीटों में से चार सीटों पर वरिष्ठ नेताओं के परिजनों को टिकट दिया गया है। केंद्रीय खान मंत्री शीशराम ओला के पुत्र बृजेन्द्रसिंह ओला को लगातार तीन बार विधानसभा चुनाव हार जाने के बाद चौथी बार प्रत्याशी बनाया गया है।
जिले की मण्डावा विधानसभा सीट से कांग्रेस ने रीटा चौधरी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। इनके पिता रामनारायण चौधरी मण्डावा क्षेत्र से कई बार विधायक, मंत्री, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। रीटा को टिकट दिए जाने का विरोध उनके भाई व पूर्व उपजिला प्रमुख राजेन्द्र चौधरी भी कर चुके हैं। परिवारवाद के कारण कई वरिष्ठ कांग्रेसी पार्टी छोड़ने की तैयारी में हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे सरदार हरालाल सिंह की पौत्री प्रतिभासिंह को नवलगढ़ से कांग्रेस का प्रत्याशी बनाया गया है। प्रतिभासिंह को टिकट दिए जाने पर नवलगढ़ से पाँच बार कांग्रेस के विधायक रहे भँवरसिंह शेखावत ने विरोध करते हुए नवलगढ़ से निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है।