राजस्थान में 33 सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के पुराने चेहरों में ही मुकाबला

Webdunia
शनिवार, 24 नवंबर 2018 (15:34 IST)
जयपुर। राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों में से 33 पर कांग्रेस और भाजपा ने अपने उन्हीं उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है जिन्होंने 2013 में विधानसभा चुनाव लड़ा था, वहीं 43 सीटें ऐसी हैं जिसमें दोनों पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवार बदले हैं।


पिछला विधानसभा चुनाव लड़ने के बाद इस विधानसभा चुनावों में भी किस्मत आजमा रहे उम्मीदवारों की 33 सीटों में से 29 ऐसी हैं जहां भाजपा के मौजूदा विधायक हैं जबकि चार ऐसी जिन पर कांग्रेस के मौजूदा विधायक चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी शामिल हैं जो सरदारपुरा से पार्टी प्रत्याशी हैं। राज्य की करणपुर सीट पर खान मंत्री सुरेंद्र पाल सिंह टीटी और कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे गुरमीत सिंह कुन्नर के बीच मुकाबला है।

टीटी 2013 का चुनाव 3853 मतों के अंतर से जीते थे। इस बार काफी ऊहापोह के बाद पार्टी ने टीटी को फिर अपना प्रत्याशी घोषित किया, वहीं हनुमानगढ़ सीट पर जल संसाधन मंत्री डॉ रामप्रताप व कांग्रेस प्रत्याशी विनोद चौधरी चुनाव लड़ रहे हैं। पिछले चुनाव में चौधरी 30,487 वोटों से हारे थे लेकिन कांग्रेस ने उन पर एक बार फिर भरोसा जताया है।

कांग्रेस के पूर्व मंत्री राजेंद्र पारीक सीकर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं जिसे 2013 के चुनाव में भाजपा के रतन लाल जलधारी ने 13,015 वोट से जीता। इस सीट पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक दल ने वाहिद चौहान को उतारा है। चौहान ने पिछला चुनाव एनसीपी के उम्मीदवार के रूप में लड़ा और 29.10 प्रतिशत वोट हासिल किए। श्रीमाधोपुर की सीट पर पूर्व स्पीकर व कांग्रेस प्रत्याशी दीपेंद्र सिंह का सामना भाजपा के झाबर सिंह खर्रा से मुकाबला है।

चौमूं सीट पर भाजपा के सांसद रामलाल शर्मा और कांग्रेस के भगवान साहनी के बीच सीधी टक्कर है। 2013 का चुनाव शर्मा ने 44,473 वोटों से जीता था। जयपुर की चर्चित सिविल लाइंस सीट पर कांग्रेस और भाजपा ने एक बार फिर अपने पुराने चेहरों पर ही भरोसा जताया है।

भाजपा की ओर से सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अरुण चतुर्वेदी और कांग्रेस की ओर से पूर्व विधायक प्रताप सिंह खाचरियावास मैदान में हैं। यही स्थिति मालवीयनगर सीट पर है जहां स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सर्राफ का मुकाबला राजस्थान कांग्रेस की उपाध्यक्ष अर्चना शर्मा से है।

शर्मा ने इस बारे में कहा कि भले ही उम्मीदवार समान हों लेकिन 7 दिसंबर को लोग कांग्रेस के लिए मतदान करेंगे। लोगों में भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे सर्राफ के खिलाफ गुस्सा है और वे कांग्रेस की ओर झुके हैं। उन्होंने कहा कि लोग स्वच्छ छवि वाले नेता और भ्रष्टाचार मुक्त सरकार चाहते हैं। नागौर जिले की जायल सीट पर भी मंजू नाम की दोनों प्रत्याशी फिर मैदान में हैं।

भाजपा ने अपनी मौजूदा विधायक मंजू बाघमार को जबकि कांग्रेस ने फिर मंजू देवी को मैदान में उतारा है। जोधपुर की सरदारपुरा सीट पर एक बार फिर मुकाबला मौजूदा विधायक एवं पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तथा भाजपा के शंभू सिंह खेतासर के बीच है। खेतासर पिछला चुनाव 18,478 वोटों से हारे थे। खेतासर ने इस बारे में कहा कि गहलोत को एक ही फायदा जातीय समीकरण का है।

इसके अलावा गहलोत में कोई विशेष बात नहीं। उन्होंने अपनी विधानसभा के लिए कुछ नहीं किया और वे विधानसभा से भी प्राय: गैर हाजिर रहे। खेतासर ने भरोसा जताया कि इस बार यह सीट भाजपा के खाते में जाएगी। वहीं, भाजपा एवं कांग्रेस ने 43 विधानसभाओं पर अपने प्रत्याशी बदले हैं।

इन 43 सीटों में से 34 पिछले चुनाव में भाजपा ने जीती थीं, लेकिन भाजपा ने इन सीटों पर अपने कई मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं दिया है। यही कारण है कि मंत्री राजकुमार रिणवा रतनगढ और हेम सिंह भडाना थानागाजी सहित उसके अनेक विधायक बागी होकर मैदान में हैं। राज्य की 200 सीटों के लिए कुल 2294 उम्मीदवार मैदान में हैं। मतदान 7 दिसंबर को होगा। 

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