जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव के प्रचार का शोरशराबा बुधवार शाम समाप्त होने के बाद गुरुवार को प्रत्याशियों ने घर-घर जाकर मतदाताओं से संपर्क करना शुरू कर दिया है।
राजस्थान में अलवर जिले के रामगढ़ में बसपा प्रत्याशी की म़ृत्यु के कारण चुनाव स्थगित हो जाने से दो सौ में से 199 सीटों पर ही चुनाव हो रहे हैं। कांग्रेस ने 195 तथा भाजपा ने सभी सीटों पर उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, बहुजन समाज पार्टी तथा समाजवादी पार्टी सहित कई छोटे-मोटे दलों के अलावा निर्दलीय सहित 2274 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।
कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के स्टार प्रचारकों की चुनाव सभाओं से बने माहौल को मतदान के दिन तक बनाए रखने के लिए प्रत्याशी घर-घर जाकर मतदाताओं से मिल रहे हैं। शुरुआती दौर में बढ़त बनाने वाली कांग्रेस पर मोदी की सभाएं भारी पड़ती सी लग रही हैं।
कांग्रेस का कहना है कि पिछले दिनों दो लोकसभा तथा एक विधानसभा उपचुनाव में भी भाजपा का झंडा फहरा रहा था, लेकिन उसे करारी मात खानी पड़ी थी। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट का मानना है कि उपचुनाव के बाद परिस्थितियो में कोई बदलाव नहीं आया लिहाजा मतदाताओं का कांग्रेस के प्रति बना मोह कैसे टूट सकता है। इसके अलावा कर्मचारियों व्यापारियों और किसानों की नाराजगी से भी कांग्रेस को अपने पक्ष में माहौल बने रहने की आस है।
भाजपा उपचुनाव को अलग नजरिए से देख रही है तथा टिकट वितरण से लेकर चुनाव प्रचार तक हिन्दुत्व की प्रखरता दिखाने पर चुनाव परिणामों को अपने पक्ष में मान रही है।
इस चुनाव में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट, पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. गिरिजा व्यास, सीपी जोशी, चार सांसदों, मंत्रियों और कई विधायकों सहित 2274 उम्मीदवारों का भाग्य तय होगा।
इनमें राजे के सामने भाजपा छोड़कर आए मानवेन्द्रसिंह ने तथा गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया के सामने पूर्व मंत्री गिरिजा व्यास, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट के सामने भाजपा के यूनुस खान, विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल के सामने कांग्रेस के पूर्व विधायक महावीर मोची, विधानसभा उपाध्यक्ष राव राजेन्द्रसिंह के सामने कांग्रेस के मनीष यादव तथा बागी आलोक ने चुनाव को रोचक बना दिया है।
भारत वाहिनी के घनश्याम तिवाड़ी और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल ने भी भ्रष्टाचार में दोनों पार्टियों की मिलीभगत के आरोप लगाए इन दोनो दलों ने कई स्थानों पर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया। बसपा ने 191 सीटों पर आप ने 180 सीटों पर तथा वामपंथी दलों ने 44 सीटों पर उम्मीदवार खड़े कर मुकाबले को संघर्षपूर्ण बना दिया।
बसपा सुप्रीमो मायावती तथा सपा के अखिलेश यादव ने भी चुनाव में चेहरा दिखाया, लेकिन आप के नेता अरविन्द केजरीवाल का चेहरा प्रचार में देखने को नहीं मिला। (वार्ता)