श्रीराम नवमी : श्रीराम की महिमा अपरंपार है

-रमेश एन. थोरात
 
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम समसामयिक है। भारतीय जनमानस के रोम-रोम में बसे श्रीराम की महिमा अपरंपार है।
 

 

 
एक राम राजा दशरथ का बेटा,
एक राम घर-घर में बैठा,
एक राम का सकल पसारा,
एक राम सारे जग से न्यारा।
 
भगवान श्री विष्णुजी के बाद श्री नारायणजी के इस अवतार की आनंद अनुभूति के लिए देवाधिदेव स्वयंभू श्री महादेव ग्यारहवें रुद्र बनकर श्री मारुति नंदन के रूप में निकल पड़े।
 
यहाँ तक कि भोलेनाथ स्वयं माता उमाजी को सुनाते हैं कि मैं तो राम नाम में ही वरण करता हूँ। जिस नाम के महान प्रभाव ने पत्थरों को तारा है। हमारी अंतिम यात्रा के समय भी इसी "राम नाम सत्य है" के घोष ने हमारी जीवनयात्रा पूर्ण की है और कौन नहीं जानता आखिर बापू ने अंत समय में "हे राम" किनके लिए पुकारा था। वास्तव में देखा जाए तो घर में पूजना व बाहर विरोध करना हमारी राजनीति है। दरअसल रामजी की महिमा का बखान संभव नहीं है।

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