श्रीराम के ये 7 गुण हर किसी को सीखना चाहिए जीवन के संकट काल में आते हैं काम

रविवार, 10 अप्रैल 2022 (10:21 IST)
रामनवमी 2022 : श्री राम का चरित एक आदर्श चरित्र है। उनके गुणों को अपनाकर व्यक्ति जीवन में सुखी, समृद्धि और सफल हो सकता है। आज के दौर में नैतिक आचरण की बहुत जरूरत है। आओ जानते हैं प्रभु श्रीराम के ऐसे 7 गुण जिन्हें अपनाकर आप आपने जीवन में शांत और खुश रह सकते हैं।
 
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1. आदर्श पुत्र, भाई और पति : श्रीराम ने हमेशा अपने माता पिता की आज्ञा का पालन किया। उन्होंने अपने भाइयों को सदा प्यार दिया और जीवनभर सदा एक पत्निव्रत धारण करके रखा। उन्होंने रिश्तों में मर्यादा, सम्मान और प्रेम सिखाया। यही वजह थी कि परिवार में हर कोई उन पर जान छिड़कता था।
 
2. त्याग और समर्पण : श्रीराम ने परिवार, समाज और देश के लिए सदा त्याग और समर्पण की भावना रखी। उन्होंने अपनी सौतेली माता कैकयी के लिए राजपाट त्याग दिया और वन में चले गए। वन में भी उन्होंने ऋषि मुनियों और वनवासियों के समक्ष त्याग और समर्पण का भाव रखा। उनकी त्याग और समर्पण की भावना को सभी ने अपनाया।
 
 
3. न्यायप्रिय : श्रीराम ने हमेशा सत्य और न्याय का साथ दिया। वे प्रजा के लिए नीति-कुशल व न्यायप्रिय राजा थे। उन्होंने खुद के साथ न्याय करने के पूर्व सुग्रीव और जामवंत जैसे लोगों को न्याय दिलाया।
 
4. परम मित्र : श्रीराम एक ओर जहां केवट के परम‍ मित्र थे वहीं वे सुग्रीव को भी परम मित्र थे। उन्होंने सदा अपने मित्रों का सहयोग किया और मित्रों ने भी उनका सहयोग किया। 
 
5. सहनशील व धैर्यवान : सहनशीलता व धैर्य भगवान राम का विशेष गुण है। कैकेयी की आज्ञा से वन में 14 वर्ष बिताना, समुद्र पर सेतु बनाने के लिए तपस्या करना, सीता को त्यागने के बाद राजा होते हुए भी संन्यासी की भांति जीवन बिताना उनकी सहनशीलता की पराकाष्ठा है। उन्होंने हर कठिन समय और युद्ध में धैर्य का परिचय दिया।
 
6. सब पर दया करने वाले श्रीराम : भगवान राम की सेना में पशु, मानव व दानव सभी थे और उन्होंने सभी को आगे बढ़ने का मौका दिया। सुग्रीव को राज्य, हनुमान, जाम्बवंत व नल-नील को भी उन्होंने समय-समय पर नेतृत्व करने का अधिकार दिया। दोस्त केवट हो या सुग्रीव, निषादराज या विभीषण। हर जाति, हर वर्ग के मित्रों के साथ भगवान राम ने दिल से करीबी रिश्ता निभाया। दोस्तों के लिए भी उन्होंने स्वयं कई संकट झेले। सेना को साथ लेकर चलने वाले व्यक्तित्व के रूप में भगवान राम को पहचाना जाता है।
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7. बेहतर प्रबंधक : भगवान राम न केवल कुशल प्रबंधक थे, बल्कि सभी को साथ लेकर चलने वाले थे। वे सभी को विकास का अवसर देते थे व उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग करते थे। उनके प्रबंधन के गुणों के चलते ही उन्होंने एक सेना का गठन करके एक ओर जहां लंका जाने के लिए उन्होंने व उनकी सेना ने पत्थरों का सेतु बना लिया था। वहीं, उन्होंने रावण को हराकर माता सीता सकुशल को अयोध्या ले आए थे।

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