वे कहते हैं कि जीव ईश्वर का अंश है। इसलिए वह अविनाशी चेतन, निर्मल और सहज सुख का भंडार है। जीव को सहज सुख प्राप्त करने के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम के चरित्र से कुछ प्रेरणा लेना चाहिए। राम एक आदर्श पुत्र के साथ-साथ आदर्श पति व आदर्श भाई भी है। मनुष्य इन आदर्शों को अपने जीवन में अपना ले तो वह सर्व सुखमय हो जाए। परंतु मानव सिर्फ राम की पूजा में लिप्त रहता है, उनके चरित्र को जीवन में नहीं उतारता। सच्ची पूजा वही है, जो राम के चरित्र का अंश मात्र ही अपना ले, तो जीवन धन्य हो जाए।