रामायण की शूर्पणखा के बारे में 10 रोचक बातें

अनिरुद्ध जोशी

शुक्रवार, 24 मार्च 2023 (12:06 IST)
वाल्मीकि रामायण, रामचरितमानस, रामचन्द्रिका, साकेत, साकेत सन्त, पंचवटी आदि ग्रंथों में सूर्पणखा के बारे में जानकारी मिलती है। यह सभी जानते हैं कि लक्ष्मण ने सूर्पणखा की नाक काट दी थी। आओ जानते हैं सूर्पणखा के बारे में 10 रोचक जानकारी।
 
 
1.कौन थीं सूर्पणखा : ऋषि विश्वश्रवा और कैकसी की पुत्री तथा लंका नरेश रावण की बहन थीं सूर्पणखा। शूर्पवत् नखानि यस्या सा शूर्पणखा। अर्थात जिसके नख सूप के समान हों।
 
2. सूर्पणखा के पति का नाम : कुबेर को बेदखल कर रावण के लंका में जम जाने के बाद उसने अपनी बहन शूर्पणखा का विवाह कालका के पुत्र दानवराज विद्युविह्वा के साथ कर दिया था।
 
3. रावण को सूर्पणखा का शाप : त्रिलोक्य विजय पर निकले रावण ने एक युद्ध में विद्युज्जिह्व को भी मार दिया था। इससे शूर्पणखा बहुत दु:खी हुई। उसने मन ही मन रावण को शाप दिया कि मेरे ही कारण तेरा सर्वनाश होगा। रावण ने उसे आश्वस्त करते हुए अपने भाई खर के पास रहने के लिए भेज दिया। वह दंडकारण्य में रहने लगी।
 
हालांकि किवदंतियों के आधार पर यह भी कहा जाता है कि एक बार रावण शूर्पणखा के घर गया। शूर्पणखा का पति विद्युतजिह्व श्रीहरि का उपासक था। यह देखकर रावण क्रोधित हो गया और उसने उसका वहीं वध कर दिया था।
 
4. राम पर मोहित हुई सूर्पणखा : कथा के अनुसार श्री राम दंडकारण्य में ही रहते थे। वहां सूर्पणखा ने जब श्रीराम को देखा तो वह उन पर मुग्ध हो गई। राम का परिचय जानकर उनसे कहा कि मैं इस प्रदेश में स्वेच्छाचारिणी राक्षसी हूं। मुझसे सब भयभीत रहते हैं। विश्रवा का पुत्र बलवान रावण मेरा भाई है। मैं तुमसे विवाह करना चाहती हूं।' यह सुनकर श्रीराम मुस्कुराए और बोले कि- उनका विवाह हो चुका है तथा उनका छोटा भाई लक्ष्मण अविवाहित है, अत: वह उसके पास जाए।
 
5. लक्ष्मण ने काटी थी नाक : सूर्पणखा ने लक्ष्मण के समक्ष विवाह प्रस्ताव रखा तो लक्ष्मण ने अस्वीकार कर उसे फिर राम के पास भेज दिया। यह सुनकर वह भड़क गई और उसने कहा कि मैं सीता को अभी खाए लेती हूं, तब यह सौत नहीं रहेगी और फिर हम विवाह कर लेंगे।' जब वह सीता की ओर झपटी तो राम के आदेशानुसार लक्ष्मण ने उसके नाक-कान काट दिए। कहते हैं कि जब यह घटना घटी तब तीनों पंचवटी में रहते थे। पंचवटी नासिक में है। यह भी कहा जाता था कि नासिक का नाम इसीलिए नासिक है क्योंकि वहां सूर्पणखा की नाक काटी गई थी। हालांकि कुछ विद्वान इसे नहीं मानते हैं।
 
6. खर और दूषण का वध : अपकी कटी नाक के साथ सूर्पणखा अपने भाई खर और दूषण के पास गई। दोनों ने अपनीर सेना सहित हमला किया। राम ने लक्ष्मण और सीता को एक कंदरा में जाने को कहा और वे अकेले ही संपूर्ण सेना से युद्ध लड़े। अंत में उन्होंने खर और दूषण का उनकी सेना सहित वध कर दिया। मुनि और गंधर्व भी यह युद्ध देखने गई थे। दूषण, त्रिशिरा तथा अनेक राक्षसों के मारे जाने पर खर स्वयं राम से युद्ध करने गया और वह भी मारा गया। राम ने खर, दूषण, त्रिशिरा तथा चौदह हज़ार राक्षसों को मार डाला।
 
7. रावण की सभा में सूर्पणखा : पंचवटी में लक्ष्मण से अपमानित शूर्पणखा ने अपने भाई रावण से अपनी व्यथा सुनाई और उसके कान भरते कहा, 'सीता अत्यंत सुंदर है और वह तुम्हारी पत्नी बनने के सर्वथा योग्य है।' तब रावण ने अपनी बहन के अपमान का बदला लेने के लिए अपने मामा मारीच के साथ मिलकर सीता अपहरण की योजना रची।  
 
8. सूर्पणखा का पूर्वजन्म : कहते हैं कि पूर्व जन्म में शूर्पणखा इन्द्रलोक की 'नयनतारा' नामक अप्सरा थीं। उस समय पृथ्वी पर एक 'वज्रा' नामक एक ऋषि घोर तपस्या कर रहे थे, तब नयनतारा पर प्रसन्न होने के कारण ऋषि की तपस्या भंग करने हेतु इन्द्र ने इसे ही पृथ्वी पर भेजा, परंतु वज्रा ऋषि की तपस्या भंग होने पर उन्होंने इसे राक्षसी होने का शाप दे दिया। ऋषि से क्षमा-याचना करने पर वज्रा ऋषि ने उससे कहा कि राक्षस जन्म में ही तुझे प्रभु के दर्शन होंगे। तब वही अप्सरा देह त्याग के बाद शूर्पणखा राक्षसी बनी।
 
9. सूर्पणखा के ज्ञान चक्षु खुले : जब सूर्पणखा की लक्ष्मणजी नाक-कान काट दिए तो शूर्पणखा के ज्ञान-चक्षु खुल गए और उसे भान हो गया कि वह कौन है। तब उसने प्रभु के कार्य को पूरा करने के लिए उनकी सहायिका बनकर प्रभु के हाथ से खर व दूषण, रावण, कुंभकर्ण, मेघनाद आदि निशाचरों को मरवा दिया और प्रभु प्राप्ति की उचित प्रक्रिया अपनाने के लिए पुष्करजी में चली गई और जल में खड़ी होकर भगवान शिव का ध्यान करने लगी। हालांकि यह भी कहा जाता है कि रावण का वध होने के बाद शूर्पणखा दैत्य गुरु शुक्राचार्य के पास चली गयी थी और जंगल में उनके आश्रम में रहने लगी थी।
 
10. श्रीकृष्ण की पत्नीं : ऐसी किवंदती है कि शिव आराधना के बाद भगवान शिव ने शूर्पणखा को दर्शन देकर वर प्रदान किया कि 28वें द्वापर युग में जब श्रीराम कृष्णावतार लेंगे, तब कुब्जा के रूप में तुम्हें कृष्ण से पति सुख की प्राप्ति होगी। तब श्रीकृष्ण तुम्हारी कूबड़ ठीक करके वही नयनतारा अप्सरा का मनमोहक रूप प्रदान करेंगे।

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