मध्यप्रदेश में भी शहरी इलाके तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। जनगणना में इस बार 82 नए नगरीय इलाके शामिल हुए हैं। इनमें 25 तो वे हैं जो वैधानिक तरीके से नगरीय सीमा में शामिल हो चुके हैं, जबकि 57 आगामी समय में शहरों का रूप ले सकते हैं। दूसरी ओर गाँवों की संख्या घट रही है। 2001 की गिनती में 55 हजार 393 गाँव थे लेकिन 2011 में ये घटकर 54 हजार 903 रह गए। यानी दस बरस में 490 गाँवों की कमी आई है।
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जनगणना निदेशक सचिन सिन्हा ने बताया कि कुल जनसंख्या में शहरी आबादी 40 लाख 92 हजार 521 की वृद्धि के साथ 2 करोड़ 59 हजार 666 हो गई है। यह कुल आबादी का 27.6 प्रश है, जबकि 2001 में यह 26.5 प्रश थी। ग्रामीण जनसंख्या 81 लाख 57 हजार 21 बढ़ी, लेकिन कुल आबादी में प्रश घट गया। 2001 में ग्रामीण आबादी का जनसंख्या में हिस्सा 73.5 फीसद रहता था, वह 2011 में 72.4 रह गया है।
शहरों में सुधरा लिंगानुपात : 2011 की जनगणना में कुल मिलाकर लिंगानुपात में सुधार हुआ है। लेकिन छः वर्ष तक के बच्चों में 2001 की तुलना में यह तेजी से गड़बड़ा रहा है। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में लिंगानुपात प्रति हजार पुरुष पर 936 महिलाएँ हैं, जो २००१ की तुलना में नौ अधिक हैं। वहीं यह अनुपात शहरी क्षेत्रों में प्रति हजार पर 18 बढ़कर 916 हो गया है। यह 2001 में 898 था।
इसी तरह छः वर्ष तक के बच्चों में लिंगानुपात तेजी से घट रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में 2001 में एक हजार बच्चों पर जहाँ बच्चियाँ 939 हुआ करती थीं, वह अब घटकर 917 ही रह गई हैं।
ग्रीस से भी ज्यादा बढ़े : आँकड़ों के मुताबिक प्रदेश में एक करोड़ 3 लाख से ज्यादा जनसंख्या एक दशक में बढ़ी है। यह ग्रीस की कुल आबादी से ज्यादा है। इसी तरह ग्रामीण आबादी दस साल में एक स्विट्जरलैंड (77.82 लाख) और इसराइल (76.02 लाख) से ज्यादा बढ़ी है। शहरी जनसंख्या के मामले में वृद्धि बोस्निया (37.60 लाख) और कांगो (37.59 लाख) से ज्यादा बढ़ी है।
34.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी इंदौर की आबादी : प्रदेश के 14 नगर निगम क्षेत्रों में सर्वाधिक जनसंख्या 19 लाख 91 हजार 645 इंदौर की सामने आई है। यहाँ वृद्धि दर 34.8 प्रतिशत रही है। जबकि बच्चों की संख्या 11.9 प्रतिशत है। प्रति हजार पुरुष पर महिलाएँ 920, शून्य से छः वर्ष के आयु समूह में लिंगानुपात 887 और साक्षरता दर 87.1 प्रतिशत रही है। इसके बाद भोपाल, फिर जबलपुर और ग्वालियर का नंबर रहा है। (नईदुनिया)