उच्चतम न्यायालय ने चंडीगढ़ के पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एण्ड साइंस की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए कहा कि पीड़ित लड़की का गर्भ 32 सप्ताह का है, जो अपनी अंतिम अवस्था में है, इसलिए गर्भपात कराना काफी जोखिम भरा होगा। इससे उसकी जान को खतरा भी हो सकता है।