असम के 95 फीसदी युवा मानसिक रूप से परेशान, जानिए क्या है कारण...
मंगलवार, 22 नवंबर 2022 (17:40 IST)
गुवाहाटी। यूनिसेफ और राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, असम में अनुमानित 95 प्रतिशत युवाओं ने साइबर धमकी और शारीरिक दंड का सामना किया है, जिसका उनके मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ा है। अभी असम की 3.1 करोड़ आबादी (2011 की जनगणना के अनुसार) के 19 फीसदी लोग 15 से 24 वर्ष की आयु के हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन युवा लोगों का सर्वेक्षण किया गया है, उनमें से करीब 60 प्रतिशत ने कहा कि इससे उनके सामाजिक संबंधों पर असर पड़ा, 24 प्रतिशत ने कहा कि इससे उन्हें तनाव, बेचैनी और डर की समस्या हुई तथा 14 प्रतिशत ने शारीरिक कष्ट होने की बात कही।
इस साल जुलाई में शुरू किया गया यू-रिपोर्ट सर्वेक्षण असम राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एएससीपीसीआर) के अभियान सुरक्षा के समर्थन के लिए किया गया, जिसका मकसद बच्चों के खिलाफ हिंसा पर जनता के बीच जागरूकता पैदा करना तथा उसका समाधान करना है।
यू-रिपोर्ट यूनिसेफ द्वारा बनाया गया एक सामाजिक मंच है जो एसएमएस, फेसबुक और टि्वटर के जरिए उपलब्ध है, जहां युवा अपने विचार साझा कर सकते हैं। गौहाटी मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में क्लीनिकल साइकोलॉजी विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. मैथिली हजारिका ने कहा कि साइबर धमकी हाल के वर्षों में आम हो गई है, क्योंकि डिजिटल दुनिया में युवाओं की मौजूदगी बढ़ी है। साइबर धमकी की वजह से कुछ मामलों में तो आत्महत्या तक हुई है।
हजारिका ने कहा, सामाजिक अलगाव, शक्तिहीनता की भावना, बेचैनी, तनाव और अकेलापन आम अभिव्यक्ति है। पीड़ित अक्सर मानता है कि उसकी वजह से मनोवैज्ञानिक समस्याएं पैदा हुईं। यह जरूरी है कि पीड़ित ऐसे मामले अपने परिवार के सदस्यों को बताएं और कानूनी उपाय करें।
सामाजिक कार्यकर्ता और काउंसलर अर्चना बोरठाकुर ने कहा कि साइबर क्षेत्र में ट्रोलिंग के साथ ही शारीरिक दंड का युवा लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर स्थाई असर हो सकता है और उन्हें तुरंत पुलिस, काउंसलर के पास जाना चाहिए तथा कानूनी सहायता लेनी चाहिए।
जिन लोगों को ऑनलाइन परेशान किया गया, उनमें से आधे को अनजान लोगों ने, 12 प्रतिशत को सहपाठी ने तथा 14 प्रतिशत को किसी मित्र ने परेशान किया। करीब 36 प्रतिशत युवाओं ने फेसुबक पर सबसे ज्यादा तंग किए जाने की बात कही। इसके बाद 25 प्रतिशत लोगों ने इंस्टाग्राम पर परेशान होने की बात कही।(भाषा)
Edited by : Chetan Gour