बस्तर में एक ऐसा भी मामला है जब शव पिछले 2 वर्षों से अंतिम संस्कार का इंतजार कर रहा है। इंसाफ पाने की आस में ग्रामीणों ने शव को 6 फुट के गड्ढे में सफेद कपड़ों से लपेटकर नमक, तेल और जड़ी बूटियों का लेप लगाकर रखा है।
शव को मौसम की मार से बचाने का भी इंतजाम किया गया है। लकड़ी के बत्ते, पॉलिथीन और मिट्टी की मदद से दबाकर रख दिया है। हालांकि अब ग्रामीण का शव काफी हद तक कंकाल में बदल चुका है, लेकिन गांववालों और मृतक ग्रामीण के परिजनों का कहना है कि इंसाफ मिलने तक शव को सुरक्षित रखा जाएगा।
बदरू का छोटा भाई सन्नू घटना का चश्मदीद गवाह है। सन्नू का आरोप है उसके भाई को उसके सामने सुरक्षाबलों ने घेर कर मार दिया। घटना के 2 वर्ष गुजरने को हैं मगर गांववालों ने बदरू के शव को श्मशान किनारे पूर्ण रूप से सुरक्षित रखा है। मृतक के सिर से नक्सली होने का दाग हटेगा। परिवारवालों का कहना है कि सुरक्षा बलों ने बदरू को नक्सली बताकर मार डाला।