उन्होंने बताया कि 2011 में उसके लापता होने से पहले परिवार के सदस्यों ने उसका आधार पंजीकरण कराया था, जिसने अब घरवालों से मिलने में उसकी मदद की। इतने वर्षों से परिवार के सदस्य की तरह उसकी देखभाल करने वाले व्यक्ति समर्थ दामले ने कहा कि किशोर को 30 जून को उसके माता-पिता को सौंप दिया गया। दामले नागपुर के पंचशील नगर इलाके में एक अनाथालय चलाते थे, जो 2015 में बंद हो गया।
दामले ने बताया, वह करीब आठ साल का था और रेलवे स्टेशन पर भटकता मिला था। पुलिस उसे हमारे अनाथालय लेकर आई थी।उन्होंने बताया, वह मानसिक रूप से अशक्त है और अच्छी तरह से बोलने में असमर्थ है। हमने उसका नाम अमन रखा क्योंकि वह बस अम्मा अम्मा बोल पा रहा था।
वह 2015 तक अनाथालय में रहा, लेकिन उसके बंद होने के बाद अमन की कोई देखभाल करने वाला नहीं था, इसलिए हम उसे घर ले आए और तब से वह हमारे साथ परिवार के सदस्य की तरह रह रहा था। मुझे एक बेटा और एक बेटी है।दामले ने बताया कि अमन का दाखिला एक स्थानीय विद्यालय में कराया गया, जहां अब वह दसवीं कक्षा में पढ़ रहा था।
दामले ने कहा कि उनके और उनके परिवार के लिए अमन को उसके माता-पिता को सौंपना मुश्किल था, लेकिन वे इससे खुश हैं। अमन के परिवार ने कहा है कि वे उनके आभारी हैं और वे जब चाहें, तब उससे मिल सकते हैं।(भाषा)