गौरतलब है कि निपनिया के आसपास के गांवों हाट पिपलिया, पटारी, अमलावती, मरका, मेंढकी, बरौठा और जावड़ा आदि गांवों के करीब 100 किसानों की लगभग 550 बीघे पर लगी सोयाबीन बर्बाद हुई है। किसानों द्वारा स्थानीय विक्रेता एजेंसी को जब सोयाबीन फसल के बर्बाद होने की खबर दी गई तो कृषि रसायन केंद्र के अधिकारियों ने सोयाबीन के खेतों का जायजा लिया और किसानों को प्रति एकड़ (पौने दो बीघा) 6000 रुपए मुआवजे के तौर पर देने की बात भी की है, लेकिन निरीक्षण के बाद से लेकर अब लगभग दो महीने का समय बीत जाने के बावजूद मुआवजे के आश्वासन की तारीखें बदलती रही हैं लेकिन अभी तक किसी के हाथ एक भी धेला नहीं लगा है। कृषि रसायन केंद्र के अधिकारी फसल के नुकसान की बात स्वीकार कर रहे हैं और मुआवजे देने की बात भी कर रहे हैं, लेकिन वे अपने कीटनाशक के गड़बड़ होने की बात पर चुप्पी लगा जाते हैं।