इंदौर भाजपा विधायक की 'बल्लामार' कार्रवाई की इनसाइड स्टोरी, नगर निगम में प्रभुत्व की लड़ाई विवाद की असली जड़

भोपाल। इंदौर में भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गीय ने जिस तरह निगम के अफसर की बल्ले से पिटाई की और उसके बाद जिस तरह से इंदौर की स्थानीय राजनीति में गुटबाजी दिखाई दे रही उससे अब कई सवाल खड़े हो रहे हैं। महापौर मालिनी गौड़ ने घटना के चौबीस घंटे बाद चुप्पी तोड़ते हुए एक तरह से पूरे विवाद के लिए आकाश विजयवर्गी़य को जिम्मेदार ठहरा दिया है।
 
महापौर के इस बयान के बाद अब कई सवाल उठ रहे हैं। इंदौर की राजनीति के जानकार बताते हैं कि दरअसल यह पूरा मामला कैलाश विजयवर्गीय और उनके विरोधी गुटों के बीच प्रभुत्व की लड़ाई से जुड़ा हुआ है। इंदौर-2 और इंदौर-3 विधानसभा पर इस वक्त एक तरह से भाजपा के दिग्गज नेता कैलाश विजयवर्गीय के गुट का कब्जा है। इंदौर 2 से कैलाश के खास रमेश मेंदोला और इंदौर 3 से खुद आकाश विजयवर्गीय विधायक हैं।
 
इंदौर महापौर मालिनी गौड़ की कैलाश विजयवर्गीय से अदावत किसी से छिपी नहीं है। लोकसभा चुनाव के समय जब एज फैक्टर के कारण सुमित्रा ताई का टिकट कट रहा था तब टिकट की दौड़ में मालिनी गौड़ सबसे आगे थीं, लेकिन संभवत: कैलाश विजयवर्गीय के विरोध के चलते मालिनी गौड़ को टिकट नहीं मिल पाया था।
 
निगम चुनाव को देखते हुए वर्चस्व की लड़ाई : अब जब कुछ ही महीनों के बाद मध्य प्रदेश में नगर निगम चुनाव हैं। ऐसे में प्रदेश की सबसे बड़ी नगर निगम को लेकर सियासी खींचतान भी शुरू हो चुकी है। 23 लाख की जनसंख्या वाला इंदौर नगर निगम देश के सबसे बड़े नगर निगमों में से एक है।
 
पिछले हफ्ते महापौर मालिनी गौड़ ने 5647 करोड़ का बजट पेश किया है। अगर बात करें तो पिछले पांच सालों में महापौर मालिनी गौड़ ने 20 हजार करोड़ का बजट पेश किया। इसके साथ ही इंदौर जिस तरह स्वच्छता अभियान में देश में नंबर वन की पोजीशन पर रहा है उससे इंदौर नगर निगम पर सबकी निगाह लगी हुई हैं। ऐसे में अब जब दिसंबर 2019 या जनवरी 2020 में निगम चुनाव होने जा रहे हैं, तब इंदौर महापौर की कुर्सी पर सभी की नजर लगी हुई है। एक जानकारी यह भी है कि इस बार निगम चुनावों को 6 महीने आगे बढ़ाया जा सकता है।

2 गुटों में बंटा नजर आ रहा नगर निगम : गुरुवार को इंदौर नगर निगम दो गुटों में बंटा हुआ नजर आया। घटना के समय निगम अमले के साथ मौजूदा 21 संविदा कर्मचारियों को सीधे बर्खास्त कर दिया गया। वहीं कुछ कर्मचारियों के परिजनों ने प्रेस कॉन्‍फेंस कर आरोपी भाजपा विधायक को क्लीन चिट दे दी।

दूसरी ओर नगर निगम के कमिश्नर आशीष सिंह ने साफ कर दिया है कि निगम आकाश विजयवर्गीय की जमानत का विरोध करेगा। वहीं आज दूसरे दिन भी निगम की कार्रवाई जारी रही। महापौर मालिनी गौड़ का भी एक तरह से आकाश के विरोध में आना कहानी के कुछ और होने का इशारा कर रहा है। अब देखना होगा कि आगे क्या होता है।

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