उन्होंने बताया कि ऑनलाइन सट्टेबाजी के लिए खासतौर पर विकसित कराए गए एंड्राइड एप्लीकेशन के सारे सूत्र गिरोहबाजों के हाथ में थे। यह किस्मत नहीं, बल्कि गिरोह के लोग तय करते थे कि किस व्यक्ति के सट्टे का नंबर खुलेगा और किसका नहीं। इस धोखेबाजी के चलते कई लोग अपने लाखों रुपए गंवा चुके हैं।