उन्होंने कहा कि विधानसभा के नियमों के अनुसार भी विधायिका को ऐसे किसी भी विषय पर चर्चा नहीं करनी चाहिए, जो उसके संवैधानिक अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। मुझे कोई दिक्कत नहीं है, यदि वे उच्चतम न्यायालय जाते हैं। पर मुझे लगता है कि राज्य के संवैधानिक प्रमुख को सूचित किए बिना उन्होंने जो किया, वह ठीक नहीं है।
राज्यपाल ने कहा कि तब भी मुझे इसमें कुछ गलत नहीं लगता। मुझे उच्चतम न्यायालय जाने के उनके फैसले में कोई त्रुटि नहीं दिखती, क्योंकि संविधान न्यायालय को अधिकार देता है, लेकिन प्रोटोकॉल के तहत उन्हें पहले मुझे सूचित करना चाहिए था। केरल सरकार ने 13 जनवरी को शीर्ष अदालत में याचिका दायर करके कहा था कि सीएए संवैधानिक मूल्यों के विपरीत है।