याचिका में पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) संशोधन नियम 2015 और विदेशी (संशोधन) आदेश 2015 को भी चुनौती दी गई है जिसने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से उन गैरमुस्लिम प्रवासियों के प्रवास को नियमित कर दिया है, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले इस शर्त पर भारत में दाखिल हुए थे कि वे अपने घर में धार्मिक उत्पीड़न के कारण वाहन से भाग आए थे।
इस याचिका में कानून और न्याय मंत्रालय के सचिव और भारत सरकार को प्रतिवादी बनाया गया है।
दरअसल संविधान का अनुच्छेद 131 भारत सरकार और किसी भी राज्य के बीच किसी भी विवाद में सर्वोच्च न्यायालय को मूल अधिकार क्षेत्र देता है।