अतिरिक्त जिला न्यायाधीश आर ए घोघारी ने कहा कि आसाराम को अपने भांजे का महज अंतिम संस्कार करने के लिए अस्थायी जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता क्योंकि मृत व्यक्ति के अन्य पारिवारिक सदस्य और भाई हैं, जो अंतिम संस्कार कर सकते हैं।
हालांकि, आरोपी के वकील बी एम गुप्ता ने अदालत से कहा कि उनके मुवक्किल को 30 दिन के लिए रिहा किया जाना चाहिए क्योंकि पगरानी ने अपनी आखिरी इच्छा जताई थी कि उनका अंतिम संस्कार उनके मामा करेंगे क्योंकि उसके माता-पिता की काफी पहले मृत्यु हो गई थी।
सूरत की दो बहनों ने आसाराम और उसके पुत्र नारायण साई के खिलाफ अलग-अलग शिकायतें दर्ज कराई थीं और उनपर बलात्कार, यौन उत्पीड़न, अवैध कैद और अन्य अपराधों का आरोप लगाया था। (भाषा)