न्यायमूर्ति नितिन जामदार और न्यायमूर्ति एमएम सथाए की खंडपीठ ने 11 मार्च के अपने आदेश में कहा कि सीआईएसएफ के याचिकाकर्ता सिपाही ने तथाकथित घटना से पहले शराब पी थी और उसे यह भी पता था कि महिला का पति घर पर मौजूद नहीं है। महिला का पति आरोपी का सहकर्मी है, जो पश्चिम बंगाल में चुनाव के दौरान ड्यूटी पर था।
अरविंद का वेतन तीन वर्षों के लिए कम कर दिया गया और इस दौरान सजा के तौर पर उसके वेतन में वृद्धि भी नहीं की गई। अरविंद पर आरोप है कि 19 और 20 अप्रैल 2021 के बीच की रात उसने अपने आधिकारिक आवासीय क्वार्टर के पड़ोस के घर का दरवाजा खटखटाया, जिसमें शिकायतकर्ता महिला और उसकी छह वर्षीय बेटी रहती थी।
शिकायतकर्ता महिला के मुताबिक, वह डर गई थी और उसने कुमार से कहा कि उसका पति पश्चिम बंगाल में ड्यूटी पर है और इसलिए उसे परेशान न करे। महिला द्वारा चेतावनी और धमकी दिए जाने के बाद अरविंद वहां से चला गया।
पीठ ने कहा, याचिकाकर्ता ने यह जानते हुए कि घर में पुरुष नहीं है फिर भी पड़ोसी का दरवाजा खटखटाया, जहां एक महिला अपनी छह वर्षीय बेटी के साथ घर में रह रही थी और वो भी सिर्फ पेट खराब होने के कारण एक नींबू लेने के लिए, जो बिलकुल बेतुका है। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता का आचरण सीआईएसएफ जैसे बल के एक अधिकारी के लिए अशोभनीय है। (भाषा)