सावरकर जयंती पर अपने संबोधन में शिंदे ने कहा कि कुछ लोग जानबूझकर अपने स्वार्थ के लिए सावरकर को बदनाम कर रहे हैं। ऐसे लोगों को डर है कि अगर सावरकर के विचार समाज में लोकप्रिय हो गए, तो उन्हें अपनी दुकान बंद करनी पड़ेगी।
शिंदे ने कहा कि यह पहली बार है, जब वहां राज्य सरकार द्वारा निर्मित महाराष्ट्र सदन में सावरकर की जयंती मनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि सावरकर के आलोचक जानते हैं कि अगर उनके विचार समाज में लोकप्रिय हो गए, तो उन्हें अपनी दुकान बंद करनी पड़ेगी। अंदाजा लगाइए कि वे कितने भयभीत हैं कि सावरकर की मौत के 57 साल बाद भी वे उनका विरोध कर रहे हैं।