विधेयक के अनुसार, शादी के बाद जबरन धर्मांतरण की स्थिति में तीन से पांच साल की कैद और दो लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। यदि पीड़ित नाबालिग, दलित या आदिवासी है तो अपराधियों को चार से सात साल की कैद और न्यूनतम तीन लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है।
इसके अलावा अगर कोई संगठन कानून का उल्लंघन करता हुआ पाया जाता है, तो उसके प्रभारी को तीन से दस साल तक की कैद और पांच लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। विधेयक के अनुसार, इस तरह के मकसद से होने वाले विवाह को रद्द घोषित किया जाएगा और सबूत पेश करने का भार आरोपी पर होगा।(भाषा)