लखनऊ। उत्तरप्रदेश में समाजवादियों का गढ़ कही जाने वाली आजमगढ़ लोकसभा सीट का नतीजा बेहद दिलचस्प आया है और समाजवादियों को अपने ही गढ़ में शिकस्त का सामना करना पड़ा है।लंबे समय से आजमगढ़ पर काबिज समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव को भाजपा के दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' ने 8679 वोटों के अंतर से हरा दिया।जहां एक तरफ समाजवादी पार्टी के अभेद किले को ध्वस्त करने के बाद भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में जश्न का माहौल है तो वहीं समाजवादी पार्टी कार्यालय में साफतौर पर मायूसी देखने को मिल रही है।
वहीं बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी ने अपनी हार को भी स्वीकार कर लिया है लेकिन साइकल की रफ्तार को रोकने में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी शाह आलम का बहुत बड़ा योगदान रहा और समाजवादी पार्टी के टेंडर वोट बैंक में तगड़ी सेंधमारी करने में सफल रहे हैं। बसपा ने डीएम फैक्टर (दलित+मुस्लिम) के तहत समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव को पूरी तरीके से आजमगढ़ में नाकामयाब कर दिया, बसपा और सपा की लड़ाई का फायदा मिला है।
वरिष्ठ पत्रकार राजेश कुमार बताते हैं कि त्रिकोणी संघर्ष के चलते समाजवादी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है लेकिन समाजवादी पार्टी के अंदर पड़ी आपसी फूट भी हार का सबसे बड़ा कारण है। राजेश कुमार बताते हैं कि एक धड़ा जो अखिलेश यादव को लेकर बेहद नाराज चल रहा था। नाराजगी तब ज्यादा पनपने लगी जब आजमगढ़ की सीट छोड़ने का फैसला अखिलेश यादव ने कर दिया जिसके बाद समाजवादी पार्टी दो धड़े में बंट गई जिसके चलते भी समाजवादी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।