न्यायमूर्ति एस जे कथावाला और न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की खंडपीठ ने पड़ोसी ठाणे जिला के भिवंडी शहर के कांबे गांव के ग्रामीणों की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह कड़ी टिप्पणी की। याचिका में ग्रामीणों ने ठाणे जिला परिषद और भिवंडी निजामपुर नगर निगम के संयुक्त उद्यम एसटीईएम वाटर डिस्ट्रीब्यूशन और इन्फ्रा कंपनी को दैनिक आधार पर पानी की आपूर्ति करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है कि उन्हें महीने में सिर्फ दो बार पानी आपूर्ति होती है और यह सिर्फ दो घंटे के लिए होता है। स्टेम के प्रबंध निदेशक भाउसाहेब डांगड़े ने बुधवार को अदालत को सूचित किया कि पानी की आपूर्ति रोजाना हो रही है लेकिन यह सिर्फ एक निश्चित जगह होती है और उन्होंने दावा किया कि उस निश्चित जगह से ग्रामीणों को रोजाना पानी की आपूर्ति करने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत की है।
डांगड़े ने कहा कि पिछले कुछ साल में गांव में आबादी बढ़ने से पानी की मांग बढ़ी है। उन्होंने कहा, हमें व्यवस्था को दुरुस्त करने की जरूरत है। इस पर अदालत ने पूछा कि व्यवस्था दुरुस्त होने तक याचिकाकर्ता क्या करें। उच्च न्यायालय ने कहा, रोजाना कम से कम कुछ घंटों के लिए पानी की आपूर्ति करनी होगी।
न्यायमूर्ति कथावाला ने कहा, पहले तो इन अवैध कनेक्शन को हटाएं। आपने (एसटीईएम) पुलिस में कोई शिकायत दर्ज कराने की भी जहमत नहीं उठाई। आपकी निष्क्रियता के कारण याचिकाकर्ताओं को पानी नहीं मिल रहा है जो कि उनका अधिकार है।
हालांकि डांगड़े ने बताया कि जब वे अवैध कनेक्शन को हटाने गए तो 150 से अधिक लोगों का समूह वहां जमा हो गया और उनकी कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन करने लगा। उच्च न्यायाल ने मामले में अगली सुनवाई के लिए बृहस्पतिवार का दिन तय किया और डांगड़े को निर्देश दिया कि वह प्रत्यक्ष रूप से अदालत में उपस्थित हों और हलफनामा दाखिल करें।(भाषा)