सुबह साढ़े सात बजे ऑक्सीजन खत्म होने पर एक बार फिर वार्ड में हालात बेकाबू होने लगे मरीज तड़प रहे थे। इधर ऑक्सीजन नहीं थी और उधर कोई बड़ा अधिकारी और गैस सप्लायर फोन उठाने को तैयार नहीं था। इस पर एक बार फिर डॉ. कफील गाड़ी लेकर निकल पड़े और अपने दोस्तों से मांगकर करीब एक दर्जन सिलेंडरों की व्यवस्था की।
इतना ही नहीं उन्होंने किसी तरह एक सप्लायर से संपर्क कर अपनी जेब से पैसे देकर ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की। अस्पताल में ऑक्सीजन के अभाव में 36 बच्चों ने दम तोड़ दिया, अगर डॉक्टर कफील ऑक्सीजन सिलेंडरों की व्यवस्था नहीं कर पाते तो मौत का आंकड़ा कहीं ज्यादा होता।