भुजबल ने कहा, मुझे दरकिनार नहीं किया गया है। मैं मंत्री हूं। अभी तक पार्टी में किसी ने भी मेरे खिलाफ नहीं बोला है। अजित दादा ने भी यह कहा कि मुझे ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के लिए बोलने का पूरा अधिकार है, जो मैं हमेशा से करता रहा हूं।
सत्तारूढ़ गठबंधन के एक अन्य सहयोगी शिवसेना के विधायक संजय गायकवाड़ द्वारा उन्हें महाराष्ट्र मंत्रिमंडल से बाहर निकालने की मांग के बारे में पूछे जाने पर खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण मंत्री भुजबल ने कहा कि हर किसी को उनके इस्तीफे की मांग करने का अधिकार है।
कार्यकर्ता अंजलि दमानिया ने एक ट्वीट में दावा किया था कि भुजबल को भाजपा में शामिल होने का प्रस्ताव मिला है। इस बारे में पूछे जाने पर भुजबल ने कहा, मैं कई वर्षों से ओबीसी के अधिकारों के लिए काम कर रहा हूं। मैं बदले में कुछ नहीं चाहता। मुझे भाजपा में शामिल होने का कोई प्रस्ताव नहीं मिला है।
उन्होंने कहा, मुझे मंत्रिमंडल में रखना है या नहीं यह मुख्यमंत्री (एकनाथ शिंदे) का विशेषाधिकार है। मुझे नहीं लगता कि वह मुझे बाहर निकालेंगे क्योंकि मैं शिवसेना में उनके गुरु आनंद दिघे का नेता हुआ करता था। राकांपा नेता ने आलोचना की भाषा संयत रखने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा, मैं संजय गायकवाड़ को बताना चाहता हूं कि मैं शिवसेना संस्थान में एक वरिष्ठ प्रोफेसर था, जहां आपने पढ़ाई की थी।
गायकवाड़ ने कहा था कि मराठा को कुनबी (ओबीसी) प्रमाण पत्र प्रदान करने के राज्य सरकार के फैसले का विरोध करने के लिए भुजबल को मंत्रिमंडल से बाहर कर देना चाहिए। इससे पहले भुजबल ने ओबीसी श्रेणी में मराठा की पिछले दरवाजे से एंट्री पर सवाल उठाया था और कहा था कि वह आरक्षण मुद्दे पर राज्य सरकार के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा था, ओबीसी को लग रहा है कि उन्होंने अपना आरक्षण खो दिया है क्योंकि मराठा इसका लाभ उठाएंगे। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour