नई दिल्ली। बचपन बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं ने पुलिस व अन्य संगठनों के सहयोग से मंगलवार देर रात दिल्ली कैंट की एक फैक्ट्री से 21 बाल मजदूरों को छुड़ाया है। इनमें 13 लड़के और आठ लड़कियां हैं। इनकी उम्र आठ से 17 साल के बीच है। अभियान के दौरान बचपन बचाओ आंदोलन(बीबीए) की टीम पर फैक्ट्री मालिक और उसके आदमियों ने हमला भी किया गया और गाडि़यों के शीशे तोड़ दिए गए। साथ ही जब छुड़ाई गई बच्चियों को जब निर्मल छाया आश्रम ले जाया जा रहा था तो हमलावरों ने उन्हें छीनने का भी प्रयास किया। हालांकि वे नाकाम रहे।
यह कार्रवाई एसडीएम, दिल्ली कैंट (नारायणा) स्थित एक फैक्ट्री में की गई। यहां थैला सिलाई का काम होता था। यह सभी बच्चे बिहार और उत्तर प्रदेश से लाए गए थे। बच्चों का मेडिकल करवाने के बाद उन्हें चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) के सामने पेश किया गया। जहां से लड़कों को मुक्ति आश्रम और लड़कियों को निर्मल छाया आश्रम भेज दिया गया। इस पूरी कार्रवाई में बीबीए, पुलिस, तहसीलदार, श्रम विभाग, एनजीओ, बाल विकास धारा और चाइल्ड लाइन का सहयोग रहा। पुलिस ने उक्त फैक्टी मालिक की कुल छह फैक्ट्रियों को सील कर दिया है।
बीबीए के निदेशक मनीष शर्मा ने कहा, हमारा प्रयास है कि ऐसी फैक्ट्रियों में लगातार छापा मारने की कार्रवाई होती रहनी चाहिए ताकि नाबालिग बच्चों को बालश्रम से आजादी मिल सके। साथ ही अभियान के दौरान हुए हमले को भी हम गंभीरता से ले रहे हैं और जरूरत पड़ी तो कानूनी कार्रवाई पर भी विचार करेंगे। बीबीए निदेशक ने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार संसद के आने वाले सत्र में जल्द ही एंटी ट्रैफिकिंग बिल पास करवाएगी।