उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष का बड़ा फैसला, विधानसभा नियुक्तियों की जांच के लिए कमेटी गठित
शनिवार, 3 सितम्बर 2022 (21:15 IST)
देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी ने वर्ष 2000 में राज्य के गठन के बाद से अब तक विधानसभा सचिवालय में हुई भर्तियों में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए शनिवार को 3 सदस्यीय समिति गठित की। विपक्षी दल कांग्रेस द्वारा भाजपा नेताओं से जुड़े लोगों की कथित अवैध नियुक्तियों को लेकर सीबीआई जांच की मांग करने के बीच यह निर्णय लिया गया।
इससे पहले विभिन्न विभागों द्वारा भर्ती में अनियमितता के आरोपों से जूझ रहे मुख्यमंत्री पुष्करसिंह धामी ने खंडूरी से मामले की जांच के आदेश पर विचार करने का अनुरोध किया था।
अध्यक्ष ने कहा कि विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल को तत्काल प्रभाव से छुट्टी पर जाने और अगले आदेश तक छुट्टी पर रहने को कहा गया है। बाद में अध्यक्ष की मौजूदगी में सिंघल के कार्यालय को भी सील कर दिया गया।
अध्यक्ष ने कहा कि जांच की घोषणा करते हुए समिति की सिफारिशों पर पारदर्शी तरीके से अमल किया जाएगा, जिसमें न केवल उस अवधि को शामिल किया जाएगा जब भाजपा सत्ता में थी, बल्कि कांग्रेस सरकार की अवधि भी इसमें शामिल होगी।
राज्य का निर्माण वर्ष 2000 में हुआ था और भर्तियां भाजपा और कांग्रेस, दोनों सरकारों के कार्यकाल में हुईं। ऐसे आरोप लगे हैं कि राजनीतिक रूप से प्रभावशाली लोगों के रिश्तेदारों और परिचितों को पिछले दरवाजे से भर्ती किया गया था।
यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए खंडूरी ने कहा कि समिति को एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है। पैनल की अध्यक्षता पूर्व सचिव (कार्मिक) दिलीप कुमार कोटिया करेंगे। इसके 2 अन्य सदस्य सुरेंद्र सिंह रावत और अवननेद्र सिंह नया हैं, जो कार्मिक विभाग के पूर्व सचिव हैं।
खंडूरी ने कहा कि दो चरणों में जांच की जाएगी, वर्ष 2000 से 2011 तक की भर्तियां जब हम उत्तर प्रदेश से लिए गए नियमों का पालन कर रहे थे और वर्ष 2012 से 2022 तक की भर्तियां जब हम खुद के नियमों का पालन कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि हम पहले 2012-2022 के बीच हुई भर्तियों की जांच करना चाहते हैं और फिर 2000 से 2011 के बीच हुई भर्तियों की जांच की जाएगी।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि विधानसभा के मौजूदा सचिव मुकेश सिंघल को जांच में सहयोग करने और जरूरत पड़ने पर समिति के समक्ष उपस्थित होने के लिए कहा गया है।
उन्होंने कहा कि मुझे कोई अनियमितता या अनुशासनहीनता स्वीकार्य नहीं है। मैं सदन की शुचिता बनाये रखने के लिए कई सुधारात्मक और कठोर निर्णय ले सकती हूं।
उन्होंने कहा कि अध्यक्ष के रूप में, यह न केवल मेरी जिम्मेदारी है, बल्कि विधानसभा की शुचिता बनाये रखना मेरा सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य भी है।
खंडूरी ने कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर सार्वजनिक जीवन में आई थीं, जिन्होंने एक बार कहा था कि वह किसी को भी भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं होने देंगे।
उन्होंने कहा कि मैं युवाओं को आश्वस्त करना चाहती हूं कि सभी के साथ न्याय होगा और कोई भी निराश नहीं होगा। (भाषा)