रक्षा सूत्रों के बकौल, सबसे अधिक तनावपूर्ण स्थिति पीपी-17 ए पर बनी हुई है जहां दोनों सेनाएं अभी भी 1 किलोमीटर की दूरी पर हैं और चीनी सैनिक लगातार चीनी दावे वाली एलएसी तक गश्त करते हुए भारतीय सैनिकों को उकसा रहे हैं। भारतीय सेना ने फिलहाल इस इलाके में भी गश्त को रोका हुआ है।
ठीक इसी प्रकार पीपी-14 के विवादित क्षेत्र में, जिसे गलवान वैली का इलाका भी कहा जाता है, दोनों सेनाएं करीब 4 किमी की दूरी पर हैं। बीच का इलाका बफर जोन बना दिया गया है। यहां पर भारतीय सेना को अपने ही इलाके से न सिर्फ पीछे हटना पड़ा, बल्कि उसे भारतीय क्षेत्र में ही बफर जोन बनाने का समझौता भी करना पड़ा है।
इस इलाके में भारतीय सेना के कुछ बख्तरबंद वाहन गलवान वैली झड़पों के बाद फंसे हुए थे, जिन्हें आज सुबह ही पूरी तरह से निकाला गया है। दौलत बेग ओल्डी की ओर जाने वाली सड़क के किनारों पर भी चीनी सेना लगातार गश्त करते हुए भारतीय इलाकों के लिए खतरा पैदा कर रही है जबकि देपसांग तथा कुछ और इलाकों में वह पूरी तरह से मोर्चाबंदी किए हुए है।
रक्षाधिकारी मानते थे कि चीनी रवैये से यही लगता है कि लद्दाख सीमा का विवाद लंबा चलेगा और ऐसे में यही कारण था भारतीय सेना ने बंकर बनाने, खंदकें खोदने तथा बैरकों के निर्माण के कार्य में तेजी लाई है। हालांकि उनकी सबसे बड़ी चिंता टैंकों और तोपखानों की है जिन्हें भयानक ठंड से बचाने की खातिर उनकी लगातार फायरिंग प्रैक्टिस कैसे की जाए, यह सवाल उनके लिए यक्ष प्रश्न बन गया था।