चंद्रपुर (महाराष्ट्र)। महाराष्ट्र के चंद्रपुर में एक मंदिर में पुलिस की 'मॉक ड्रिल' उस समय विवादों में आ गई, जब खुद को आतंकवादी बताने वाले कर्मी कथित तौर पर एक विशेष समुदाय से जुड़े नारे लगा रहे थे।
वकीलों के एक समूह ने इस मुद्दे पर जिला पुलिस अधिकारियों को एक ज्ञापन सौंपा है। वहीं पुलिस अधीक्षक (एसपी) रवींद्र सिंह परदेशी ने रविवार को कहा कि इस तरह की गलती दोबारा न हो, इसके लिए सभी प्रयास किए जाएंगे।
मॉक ड्रिल 11 जनवरी को यहां के प्रसिद्ध महाकाली मंदिर में आयोजित की गई थी। इसमें आतंकवादियों के एक समूह ने एक पूजा स्थल पर कब्जा कर लिया और श्रद्धालुओं को बंधक बना लिया।
वकीलों के समूह में शामिल फरत बेग ने कहा, मॉक ड्रिल में आतंकवादियों की भूमिका निभाने वाले कर्मियों के विशेष नारे लगाने के वीडियो सामने आए हैं। यह एक समुदाय को नकारात्मक तरीके से चित्रित करता है और यह विश्वास दिलाता है कि सभी आतंकवादी इसी समुदाय से हैं।
बेग ने कहा, हमने इस तरह की नारेबाजी और चित्रण के खिलाफ जिला एसपी के कार्यालय में एक ज्ञापन सौंपा है। पुलिस का यह कृत्य एक समुदाय को बदनाम करने के समान है। जाहिर है मॉक ड्रिल की तैयारी एसपी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने देखी होगी।
संपर्क करने पर पुलिस अधीक्षक रवींद्र सिंह परदेशी ने कहा कि उनका विभाग यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा कि ऐसी त्रुटि दोबारा न हो। अधिकारियों ने कहा कि मॉक ड्रिल का आयोजन स्थानीय पुलिस, आतंकवाद निरोधी दस्ते, विशेष इकाई सी-60 समेत अन्य बलों के कर्मियों द्वारा किया गया था।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)