'एकल अभियान' को जनांदोलन बनाने के लिए परिवर्तन कुंभ : गोयल
शनिवार, 15 फ़रवरी 2020 (21:35 IST)
लखनऊ। देश के ग्रामीण, वनवासी और वंचित तबकों के 30 लाख से अधिक बच्चों को बुनियादी शिक्षा से भारत निर्माण में जुटे 'एकल अभियान' को जनांदोलन में बदलने के लिए उत्तर प्रेदश की राजधानी लखनऊ में 16 से 18 फरवरी तक 'परिवर्तन कुंभ' और पर्यावरण सुधारने की दिशा में 'एक छात्र एक पेड़' गोद लेने के कार्यक्रम की शुरुआत की जाएगी।
भारत लोक शिक्षा परिषद के न्यासी और न्यास बोर्ड के अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण गोयल ने कुंभ की जानकारी देते हुए बताया कि 16 फरवरी को लखनऊ के रमाबाई अंबेडकर मैदान में उत्तर भारत के 20 हजार गांवों से एक लाख से ज्यादा स्वराज सैनिक स्वराज सेनानी सम्मेलन के लिए एकत्रित होंगे। 16 फरवरी के कार्यक्रम में साध्वी ऋतंभरा भी शामिल होंगी।
गोयल ने बताया कि एकल विद्यालयों के माध्यम से बुनियादी शिक्षा के साथ राष्ट्रधर्म सर्वोपरि और संस्कारों की दी जाती है। बचपन से ही कंप्टूयर शिक्षा एकल अभियान की शिक्षा पद्धति का अहम हिस्सा है। उन्होंने बताया कि इस आयोजन के दौरान लखनऊ में लघु भारत के दर्शन होंगे।
अध्यक्ष गोयल ने बताया कि 16 फरवरी को रमाबाई अंबेडकर मैदान तक पहुंचने से पहले लखनऊ की 6 जगहों पर शोभायात्रा भी निकाली जाएगी। एकल अभियान के लिए देश भर में चलाए जा रहे कुटीर उद्योगों की जानकारी देने के लिए एक प्रदर्शनी भी आयोजित होगी। इस दौरान कुछ उत्पाद विक्रय के लिए भी उपलब्ध रहेंगे।
एकल परिवर्तन कुंभ में शामिल होने के लिए देशभर से आने वाले लोगों के लिए खाने-पीने का इंतजाम बहुत से स्वयंसेवक कर रहे हैं। परिवर्तन कुंभ में आने वाले ढाई लाख लोगो के लिए रुकने और खाने की सारी व्यवस्था लखनऊ निवासियों की मदद से उनके घरों पर की जा रही है।
क्या है 'एकल अभियान' : गोयल ने बताया कि 'राष्ट्र निर्माण' के मकसद से 1989 में एकल अभियान की शुरुआत हुई थी जिसके तहत देश के दूरदराज के इलाकों में 'एकल विद्यालय' खोले गए। ऐसे इलाकों के वंचित वर्ग के बच्चे भी शिक्षा पा सकें इसलिए एक शिक्षक के माध्यम से सभी विषयों की शिक्षा देने की यह अनूठी पहल है।
पहले एकल विद्यालय की शुरुआत झारखंड में की गई जिनकी संख्या अब 1 लाख 21 हजार तक पहुंच चुकी है। ये अभियान 27 राज्यों के 360 जिलों तक पहुंच चुका है। उत्तर प्रदेश में एकल विद्यालयों की संख्या करीब 22 हजार तक हो चुकी है। इन एकल विद्यालयों के जरिए चार लाख गांवों में परिवर्तन, समाज सुधार और विकास की योजनाएं चलाई जा रही हैं।