अरुणाचल के पूर्व सीएम कलिखो पुल ने दी जान

मंगलवार, 9 अगस्त 2016 (10:46 IST)
अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कलिखो पुल का शव मंगलवार को उनके घर से बरामद किया गया। वे हाल ही में सीएम पद से हटे थे। कालिखो पुल की हत्या की खबर सुनकर उनके समर्थक भड़क गए और उन्होंने उपमुख्यमंत्री के घर जमकर तोड़फोड़ की। 
 
पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि 47 वर्षीय पुल ने अपने बेडरूम में कथित तौर पर फांसी लगा ली। उन्हें मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास पर मृत पाया गया। उन्होंने इस आवास को खाली करना था।
 
पुल की तीन में से एक पत्नी ने उन्हें आज सुबह लटका हुआ पाया। उनकी तीन पत्नियां और चार बच्चे हैं। पुल की मौत की खबर फैलते ही सत्ताधारी और विपक्षी दलों के विधायक, दोस्त और जनता उनके बंगले की ओर रवाना हो गए। मौत के पीछे की वजहें अभी तक स्पष्ट नहीं हैं।

कांग्रेस से बगावत के बाद पुल ने भाजपा की मदद से राज्य में सरकार बनाई थी और वे लगभग छह माह तक राज्य के मुख्यमंत्री थे।

इसी बीच, पुल के घर के बाहर एकत्र हुए लोग आपे से बाहर हो गए और पुल की कथित आत्महत्या के चलते मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के मंत्रियों के तत्काल इस्तीफे की मांग करने लगे। भीड़ में से कुछ लोगों ने पुल के घर आए सत्ताधारी पार्टी के विधायकों की ओर बढ़ने की कोशिश की। इसके बाद पुलिस ने गेट के बाहर घेराबंदी कर दी।

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सरकार को बर्खास्त किया था। कहा जा रहा है कि इस घटनाक्रम के बाद से ही अवसाद का शिकार थे। वे फिलहाल मुख्यमंत्री आवास में ही रह रहे थे। 

कलिखो पुल अरुणाचल प्रदेश के 9वें मुख्यमंत्री थे। 16 फरवरी, 2016 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश के बाद राज्यपाल जे.पी. राजखोवा ने ईटानगर में राजभवन में आयोजित समारोह में उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। वे वर्ष 2003 से 2007 तक मुख्यमंत्री गेगांग अपांग के मंत्रालय में राज्य वित्त मंत्री रह चुके हैं।
 
उल्लेखनीय है कि राज्य में राजनीतिक संकट की शुरुआत दिसंबर, 2015 में तब हुई जब कांग्रेस के 47 विधायकों में से 21 ने बगावत कर दी और नबाम टुकी की अगुवाई वाली कांग्रेस की सरकार अल्पमत में आ गई। 26 जनवरी, 2016 को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। वर्तमान में मुख्यमंत्री कलिखो पुल के साथ कांग्रेस के 19 बागी, बीजेपी के 11 और दो निर्दलीय विधायक थे।
 
उन्होंने 19 फरवरी 2016 से 13 जुलाई 2016 तक अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पद का दायित्व संभाला था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ा था। वे ह्यूलियांग विधानसभा क्षेत्र से चुने जाते थे। उनका जन्म 20 जुलाई, 1969 में हुआ था।
 
कालिखो पुल कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में शामिल हुए थे और मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। बताया जा रहा है कि सत्ता जाने के बाद वह मानसिक यंत्रणा के दौर से गुजर रहे थे।

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