नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने अपनी एक रिपोर्ट में महाराष्ट्र के इस मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि राज्य के बीड़ जिले में वर्ष 2015 में 51,397 हैक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसलों की बुआई की गई थी और बीमा 1 लाख 11 हजार 615 हैक्टेयर का किया गया था जबकि जिले में उस समय कुल 66,042 हैक्टेयर कृषि योग्य जमीन थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जिले के पार्ली तालुका कृषि अधिकारी के दस्तावेजों की जांच से पता चला है कि संभवत: दोहरा बीमा दावा लिए जाने के उद्देश्य से वास्तविक क्षेत्र से 60,218 हैक्टेयर अधिक क्षेत्र का फसल बीमा कराया गया था।
पार्ली तालुका के 3 बैंकों भारतीय स्टेट बैंक, बीड़ जिला केंद्रीय सहकारी बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र के फसल बीमा दावों के भुगतान का सत्यापन करने पर पाया गया कि 2 या 3 बार किसानों के दावों का भुगतान किया गया। सरद गांव में 125 किसानों को 26.72 लाख रुपए और धर्मपुरी में 4 किसानों को 2.15 लाख रुपए का भुगतान किया गया। स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद की पार्ली शाखा ने बीड़ के जिलाधिकारी को 88 दोहरे बीमा दावों के मामलों की सूचना दी थी जिसमें 27.58 लाख रुपए की राशि थी।
राज्य सरकार ने तथ्यों को स्वीकार करते हुए कहा कि बुआई क्षेत्र का अनुमान केवल देखकर लगाया जाता है, जो विश्वसनीय नहीं है। गलत दावों के भुगतान से बचने के लिए आधार कार्ड के उपयोग करने का प्रस्ताव है। (वार्ता)