इंदौर के भविष्य निधि कार्यालय में पदस्थ फिरोज दाजी उम्र के 53वें पड़ाव पर हैं और उन्होंने स्वेच्छा से बुधवार को 107वीं बार रक्तदान करके शहर के लिए नई मिसाल पेश की है। उन्होंने अपना 107वां रक्तदान तीन समुदायों को समर्पित किया।
फिरोज दाजी ने 'वेबदुनिया' से विशेष बातचीत करते हुए कहा कि देश के वर्तमान समय में जो हालात हैं, उसने मेरे दिल को कचोटा और अर्न्तआत्मा से आवाज आई कि मुझे 107वीं बार रक्तदान करना है।
उन्होंने कहा कि यह रक्तदान किसी प्रचार या नाम के लिए नहीं बल्कि उस समाज के लिए है, जिसने मुझे बहुत कुछ दिया है और मेरा सच्चे नागरिक की तरह फर्ज बनता है कि मैं उसे लौटाऊं। फिरोज के शब्दों में...ईश्वर के आशीर्वाद से आज 107वां रक्तदान। आज का यह रक्तदान समर्पित है...
1. भविष्य निधि संगठन के उन समस्त साथियों को, जिन्होंने करोना महामारी में पूरी मेहनत और लगन से कार्य किया। हमारे संगठन के जो भी साथी इसमें शहीद हुए उनको विनम्र श्रद्धांजलि।
2. यह रक्तदान समर्पित है भारत के तमाम करोना योद्धाओं को जैसे डॉक्टर, नर्स, पुलिस, सफाई कर्मी आदि। सभी को नमन तथा इसमें शहीद हुए सभी को विनम्र श्रद्धांजलि।
3. भारतीय सेना को। साथ ही लद्दाख में चीन की धोखेबाजी के चलते शहीद हुए सभी भारत माता के वीर सपूतों को विनम्र श्रद्धांजलि।
सनद रहे कि फिरोज दाजी हमेशा समाज सेवा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहे हैं। इंदौर के भविष्य निधि कार्यालय में किसी कर्मचारी के परिजन को या उसके किसी साथी को जब भी रक्त की जरूरत हुई, फिरोज ने वहां जाकर रक्तदान करके मानवीय धर्म निभाया।
सिर्फ अपना नागरिक कर्तव्य निभा रहा हूं : फिरोज ने बताया कि मैं जब भी रक्तदान करके वापस आता हूं, मन में अजीब-सी शांति मिलती है। समाज से हमने हमेशा पाया ही है। हमारे भी कुछ नागरिक कर्तव्य हैं। हर व्यक्ति अपने-अपने स्तर पर सामाजिक कार्य करता है। मेरा रक्त किसी इंसान के काम आए, इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है। यह सब मैं किसी नाम या रिकॉर्ड के लिए नहीं करता हूं, बल्कि मुझे खुशी होती है कि मेरे इस कार्य से दूसरे लोग प्रेरित होते हैं। इंदौर में तेजी से रक्तदाताओं की संख्या में इजाफा हो रहा है।
किसी की जिंदगी बचाना सबसे बड़ा पुण्य : फिरोज के अनुसार मैंने अकसर देखा है कि जब किसी का अपना अस्पताल के बिस्तर पर जीवन और मौत के बीच संघर्ष कर रहा होता है और डॉक्टर्स जान बचाने के लिए खून की बोतलों का इंतजाम रखने का कहते हैं, तब पीड़ित के परिजनों पर क्या गुजरती है। यही कारण है कि मैं खुद ही नहीं बल्कि मेरे सर्कल में सभी लोग समय-समय पर रक्तदान कर लोगों की जिंदगी बचाने में अपना छोटा सा योगदान कर रहे हैं।
'रक्तदान के शतक' पर 100 से ज्यादा लोगों ने किया था रक्तदान : फिरोज दाजी ने जब 21 सितंबर 2018 को जीएसआईटीएस के सामने स्थित बाल विनय मंदिर स्कूल में 100वीं बार रक्तदान किया था, तब उनसे प्रेरित होकर एक ही दिन में 108 लोगों ने ब्लड बैंक की वैन में रक्तदान किया था। इनमें बाल विनय मंदिर के पूर्व छात्र-छात्राएं भी शामिल थे, क्योंकि फिरोज दाजी की स्कूली शिक्षा यहीं पर हुई थी।
रक्तदान की रोचक दास्तां : एक विशेष मुलाकात में 52 वर्षीय फिरोज दाजी ने बताया कि मैंने पहली बार रक्तदान 1988-89 में किया था। तब मैं पलासिया इलाके में रहता था और घर के पास ही अंतरराष्ट्रीय अंपायर नरेन्द्र सेन रहा करते थे। उनके एक रिश्तेदार बंगाल से आए हुए थे। तबीयत खराब होने के कारण वे एमवाय अस्पताल में भर्ती थे। तब उन्हें खून देकर मैंने उनकी जान बचाई थी।
पत्नी और बेटा भी महादान में शरीक : फिरोज ने बताया कि मेरी पत्नी वंदना दाजी इंदौर के प्रतिष्ठित सत्य सांईं स्कूल में वाइस प्रिंसीपल हैं और वे भी रक्तदान करती हैं। मेरे 100वें रक्तदान पर उन्होंने 6ठी बार और बड़े बेटे अनोश ने भी 6ठी मर्तबा रक्तदान किया था। मुझे दिली खुशी है कि मेरे साथ मेरा परिवार भी इस समाज सेवा में हर कदम पर मेरा उत्साह बढ़ा रहा है।
भविष्य निधि की भारतीय टीम में खेल चुके हैं फिरोज : फिरोज ने स्कूल स्तर पर क्रिकेट खेला और फिर ओपन क्रिकेट के बाद इंदौर की भविष्य निधि टीम का प्रतिनिधित्व किया। वे भारतीय भविष्य निधि टीम में भी अपनी छाप छोड़ चुके हैं। पिछले 3 साल से ही उन्होंने खेलना छोड़ा है लेकिन अपनी फिटनेस को बरकरार रखने के लिए व्यायाम करना नहीं छोड़ा।