पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक परियोजना के बारे में आगामी महीनों में पता चलेगा, साथ ही बांग्लादेश सरकार से जल्द ही एक सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने की उम्मीद है।
परियोजना के अंतर्गत असम, मेघालय और बांग्लादेश के वन विभाग की टीमें एकसाथ बैठेंगी और अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगी जगहों की पहचान करेंगे जिसका इस्तेमाल हाथियों के एक तरफ से दूसरी तरफ जाने के लिए किया जाएगा। इसके बाद सैकड़ों वर्षों से हाथियों के गलियारे का हिस्सा रहे ऐसे मार्गों पर बड़े आकार के फाटकों का निर्माण किया जाएगा।