बोर्ड परीक्षा में वह सबसे उम्रदराज छात्रा थीं और दो साल तक वह री-भोई जिले स्थित बालवान कॉलेज में शान से स्कूल की वर्दी पहनकर कक्षा में पढ़ाई करने गई। लकींते ने कहा, ‘मैं परीक्षा उत्तीर्ण कर बहुत खुश हूं।’ उन्होंने कहा कि वह अपने मुख्य विषय के रूप में मातृभाषा के साथ उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहती हैं।
दादी ने बताया कि गणित की वजह से उन्होंने 1988 में पढ़ाई छोड़ दी थी क्योंकि वह सिरदर्द करने वाला विषय था। उन्होंने बताया, गणित को समझना बहुत मुश्किल था। वर्ष 2008 में मुझे नर्सरी-एलकेजी के बच्चों को पढ़ाने का प्रस्ताव मिला और इसके बाद दोबारा पढ़ने का रुझान बढ़ा।
वर्ष 2015 में लंकीते ने पढ़ाई छोड़ने के 26 साल बाद इग्नू के दूरस्थ शिक्षा पाठ्यक्रम में दाखिला लिया ताकि एसएसए स्कूल में अपनी नौकरी को कायम रखा जा सके। इसी स्कूल में वह पढ़ाती हैं। लंकीते ने कहा, मैं खुश हूं क्योंकि इग्नू के पाठ्यक्रम में गणित विषय नहीं होता है। मेघालय के शिक्षामंत्री लाहमेन रिम्बुई ने लकींते को उम्र के बावजूद उपलब्धि हासिल करने पर बधाई दी।