आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रत्येक शव या शरीर के अंग को एक पहचान संख्या दी जाएगी और इसका सभी नमूनों, तस्वीरों, वीडियो और शवों से संबंधित भौतिक वस्तुओं के रिकॉर्ड में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाएगा। इसमें कहा गया कि पुलिस शवों या मानव अंगों की पहचान के लिए हर संभव प्रयास करेगी और यदि इसके बाद भी शवों की पहचान नहीं हो पाई तो वे जांच के 72 घंटे बाद शव को आगे की कार्रवाई के लिए जिला प्रशासन को सौंप देंगे।
दो अगस्त को जारी किए गए दिशा-निर्देशों में कहा गया कि जिला प्रशासन मेप्पाडी पंचायत और उस पंचायत या नगरपालिका को सूचित करेगा जिसमें श्मशान घाट स्थित है। ऐसे मामलों में जहां संबंधित चिकित्सक ने लिखित रूप से सलाह दी है कि सड़न या अन्य कारण से शव को तत्काल दफना दिया जाए, वहां शव को बिना किसी प्रतीक्षा के तत्काल जिला प्रशासन को सौंप दिया जाएगा।
इसमें कहा गया कि शवों को सिर्फ दफनाया ही जाएगा। जिला प्रशासन को निर्देश दिया गया है कि शव दफनाने के स्थान पर पहचान संख्या को स्पष्ट रूप से दर्शाने के बाद ही इन्हें दफनाया जाए। जिला प्रशासन को यह भी निर्देश दिया गया है कि जिस भी स्थान पर शवों को दफनाया जाएगा वहां उस पंचायत या नगरपालिका के अधिकारी मौजूद रहने चाहिए। दिशानिर्देशों में कहा गया हैकि जिला प्रशासन को संदर्भ के लिए दफन स्थान के विवरण का आवश्यक रिकॉर्ड रखना होगा।
ऐसे ही दिशानिर्देश उन शवों के लिए भी हैं जिनकी पहचान तो हो गई है लेकिन उन पर दावा नहीं किया गया है तथा जिनकी पहचान विवादित है या संदिग्ध है। केरल के वायनाड जिले में बड़े पैमाने पर हुई भूस्खलन की घटनाओं के चार दिन बाद अब तक प्रभावित क्षेत्रों से 215 लोगों के शव और 143 मानव अंग बरामद किए जा चुके हैं। वहीं, 218 लोग अब भी लापता हैं।(भाषा)