नदवा के अधिकारी मोहम्मद वकील ने बताया कि आजादी का जश्न तो हर साल मनाया जाता है। लोग अपने -अपने ढंग से मनाते हैं। वंदे मातरम् को लेकर बेवजह कुछ लोग विवाद पैदा करना चाहते हैं। आजादी के जश्न में पूरा देश सराबोर होता है। बच्चे पार्क में जाते हैं। बूढ़े घर पर बातचीत करते हैं, लेकिन जश्न आजादी का ही होता है।
उन्होंने कहा कि आजादी और पाबंदी एक साथ नहीं हो सकती। वंदे मातरम् गवाने की जिद नहीं करनी चाहिए। जिसकी इच्छा होगी गाएगा, जिसकी इच्छा नहीं होगी नहीं गाएगा। आजादी का मतलब यही है। 15 अगस्त को कम से कम किसी चीज के लिए दबाव नहीं बनाना चाहिये क्योंकि यह आजादी का पर्व है।