चिड़ियाघर प्रभारी डॉ. उत्तम यादव के अनुसार करीब ढाई साल से लकवे, पैर और कमर की गंभीर चोटों से परेशान सोनू को मंत्रोच्चार के बीच सुबह 11 मृत्यु दी जाएगी। उसे इंजेक्शन लगाया जाएगा। इसके बाद वह एक घंटे नींद में रहेगा। फिर धीरे-धीरे उसकी सांसें हमेशा के लिए थम जाएंगी। पोस्टमार्टम के बाद उसे दफना दिया जाएगा।
ऐसा विचार किया जा रहा है कि छह महीने बाद उसके शव को निकाला जाए, ताकि उसके अस्थि-पंजर रिसर्च के काम आ सके। चिड़ियाघर के जनजागरूकता केंद्र में भी इसे रखा जाएगा। इससे लोगों को भालू के बारे में जानकारी मिल सकेगी। चिड़ियाघर प्रबंधन के अनुसार भालू को कई माह से दवाओं का भी असर नहीं हो रहा था। इसके चलते तीन माह पहले उसे मृत्यु देने के लिए सेंट्रल जू अथॉरिटी को पत्र लिखा गया था। इसकी मंजूरी मिल गई है। चिड़ियाघर के इतिहास में किसी जानवर की मृत्यु मांगने की यह पहली घटना है।
सोनू की देखभाल करने वाले चिड़ियाघर के कर्मचारी जीवनलाल रील के मुताबिक ढाई साल पहले जब सोनू को पिंजरे में शिफ्ट किया गया था, तब से उसकी देख-रेख कर रहा हूं। उसकी हालत देखकर काफी दुख हूं। पहले वह रोज सुबह-शाम करीब आठ लीटर दूध पीता था। 12 अंडे, ककड़ी और मोटी रोटी खाता था, लेकिन अब मुश्किल से तीन लीटर दूध पी पाता है। कई दिन ककड़ी खाना भी छोड़ दिया है।