जयललिता ने कहा कि इससे यह स्पष्ट है कि हिन्दी थोपने का प्रयास, खासकर 28 जुलाई 2011 को केंद्रीय हिन्दी समिति की बैठक में लिए गए फैसलों में निहित है। मुख्यमंत्री ने यह भी सवाल उठाया कि तब कांग्रेस नीत संप्रग का हिस्सा रही द्रमुक क्यों चुप रही, जबकि अब वह विरोध कर रही है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी का रुख दृढ़ है और हिन्दी को गैर हिन्दीभाषी राज्यों पर नहीं थोपा जाना चाहिए।