श्रीनगर। क्रिकेट खेलने का शौकीन बिलाल अहमद (बदला हुआ नाम) परेशान है। उसकी परेशानी उन स्कूली अभिभावकों, छात्रों और व्यापारियों की ही तरह की हैँ जो उस सरकारी आदेश से सकते में हैं जिसके तहत जम्मू कश्मीर में व्हाट्सएप ग्रुप संचालकों को अपने-अपने ग्रुपों के पंजीकरण के लिए कहा गया है।
दरअसल यह सरकारी आदेश उस समय आया था जब कश्मीर में होने वाली मौतों तथा हालात के लिए पैदा हुई परिस्थितियों का दोष सरकार तथा नागरिक प्रशासन ने इन व्हाट्सएप ग्रुपों पर मढ़ा था। हालांकि अभी तक यह साबित नहीं हो पाया है कि सारे हालात के लिए व्हाट्सएप पर न्यूज ग्रुप चलाने वाले ही दोषी थे लेकिन इतना जरूर है कि अब सरकार ने ऐसे न्यूज ग्रुपों से कड़ाई से निपटना शुरू किया तो गेहूं के साथ घुन भी पिसने लगा है।
सरकारी आदेश के मुताबिक, जम्मू कश्मीर में चल रहे सिर्फ न्यूज ग्रुपों को पंजीकरण करवाने की आवश्यकता है पर अन्य ग्रुपों को भी ऐसे दिशा-निर्देश दिए जाने से लोग परेशानी की हालत में हैं। सबसे ज्यादा परेशानी उनको है जो जानकारियां शेयर करने के लिए ग्रुप बनाए हुए हैं। पर कभी-कभार उन पर खबरें भी शेयर कर रहे हैं। ऐसे ग्रुपों के संचालकों को डर इस बात का है कि कहीं पुलिस उन पर कानूनी कार्रवाई न करे। इसी डर से अब कई ग्रुप बंद भी होने लगे हैं और कई ग्रुपों पर कई-कई दिनों तक संदेशों का आदान-प्रदान भी नहीं हो रहा है।